विचार / लेख
-गिरीश मालवीय
किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट केस में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत पर चल रही सुनावई के दौरान दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस से एक बहुत अहम सवाल पूछा गया........एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि 'मंदिर का चंदा मांगने अगर मैं डकैत के पास जाऊं तो क्या में डकैती में शामिल माना जाऊंगा?'
दिशा के वकील ने जज के सामने जो दलीले दी वो भी इस केस को समझने में बहुत महत्वपूर्ण है वकील ने कहा कि टूलकिट में तो केवल लोगों को आगे आने, रैली में हिस्सा लेने और वापस घर जाने के लिए लिखा था।
क्या लोगों को रैली में जाने के लिए प्रेरित करना देशद्रोह है?
क्या मैं ऐसा करूंगा तो देशद्रोही हो जाऊंगा ?
टूलिकट में लोगों को सरकारी दफ्तरों में एकत्रित होने के लिए लिखा था, क्या ये देशद्रोह है?
दिल्ली पुलिस ने 149 लोगों को गिरफ्तार किया, क्या उनमें से किसी ने भी यह कहा कि उसने टूलकिट पढ़ी या उसको पढ़ने की वजह से उसमें रोष जागा और उसने गणतंत्र दिवस वाले दिन लाल किले पर झंडा फहरा दिया या हिंसा की?
कोई साक्ष्य नहीं है, सामग्री नहीं है, तो साजिश का आरोप लगा दिया। यहां कोई विरोध-प्रदर्शन कर रहा है और आप उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाइलाइट कर रहे हैं तो वह राजद्रोह हो गया! अगर ऐसा है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हम सब राजद्रोही हैं और सब अंदर चलते हैं। यह है पुलिस का केस!
आपको याद दिलाना चाहूँगा कि यह वही एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा है जिन्होंने कुछ दिनों।पहले एक पुराने केस में यह फैसला दिया था कि.......किसी असंतुष्ट व्यक्ति को चुप कराने के लिए राजद्रोह का क़ानून नहीं लगाया जा सकता.
उस केस में उनका डिसीजन था कि......'राजद्रोह क़ानून शांति और क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य को मिला एक अच्छा क़ानून है, लेकिन इसका उपयोग अपनी बात रख रहे लोगों को चुप कराने के लिए नहीं किया जा सकता. और ये क़ानून भी साफ़ करता है कि इसे उन्हीं परिस्थितियों में लागू किया जाता है, जहां हिंसा के जरिए समाज की शांति भंग करने का प्रयास किया जाता हो. लेकिन जहां हिंसा न हो, लोगों को भड़काया न गया हो, या कोई ऐसा बयान नहीं दिया गया हो, ऐसे में मुझे संदेह है कि राजद्रोह का क़ानून इन परिस्थितियों में लागू होता है.'
फिलहाल दिशा रवि की जमानत पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस केस में 23 फरवरी को फैसला सुनाया जाएगा।