सामान्य ज्ञान
भारत में चिकित्सा सेवाओं का आविर्भाव 1764 में ग्रीगोरियन कैलेंडर के पहले दिन हुआ और बंगाल चिकित्सा सेवा की स्थापना हुई। इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने सैनिकों के लिए 1745 में मिलिट्री सर्जनों को नौकरी पर रखना शुरू किया था। इसके बाद मद्रास और बंबई चिकित्सा सेवाएं 1767 और 1779 में शुरू हुई। वे सभी क्रमश: बंगाल, मद्रास और बंबई की तीन प्रेसीडेंसी सेनाओं को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराती थीं।
मार्च 1896 में कंपनी की सभी तीनों प्रेसीडेंसियों की चिकित्सा सेवाओं को संयुक्त करके भारतीय चिकित्सा सेवा (आईएमएस) बना दिया गया जिसका काम मुख्यत: भारतीय सेना को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना था। संयोग की बात है कि कोलकाता में और उसके आस-पास 18वीं शताब्दी से मौजूद अनेक ऐतिहासिक स्मारकों में एक प्रमुख भवन भी है जिसका 1757 में फोर्ट विलियम के लिए लॉर्ड क्लाइव ने एक सैनिक जनरल अस्पताल के रूप में डिजाइन तथा नियोजन किया था। 246 आचार्य जगदीश चन्द्र बोस रोड, अलीपुर पर स्थित इस दोमंजिला ऐतिहासिक भवन को 1870 में 60 बिस्तरों वाला सैनिक अस्पताल का रूप दिया गया। यह भवन 1787 में बनाया गया था।
यह अस्पताल लगभग एक शताब्दी तक इस स्थान पर बना रहा, तब 1970 में इसे निकटवर्ती अलीपुर में इसे पूर्वी कमान अस्पताल के रूप में वर्तमान रूप दिया गया। इस अस्पताल की आधारशिला स्वर्गीय फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने रखी । यह प्राचीन पैतृक भवन अब सेना के बंगाल क्षेत्र का मुख्यालय है।
प्रथम विश्व युद्ध तक भारतीय चिकित्सा सेवा का स्वरूप मुख्यत: सिविल था। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद 3 अप्रैल, 1943 को इसे भारतीय सेना चिकित्सा कोर (आईएएमसी) का नाम दिया गया। आईएएमसी को 26 जनवरी, 1950 से सेना चिकित्सा कोर (एएमसी) के रूप में पुनर्गठित किया गया। इसी वर्ष पहला पैराट्रूपर चिकित्सा दल भी गठित किया गया और पुणे में कॉलेज की भी आधारशिला रखी गई।
सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) के महानिदेशक का पद 1949 में बनाया गया। इनका काम थल सेना, नौ सेना, वायु सेना, मिलिट्री नर्सिंग सेवा और थल सेना डेंटल कोर की चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशकों के बीच समन्?वय स्थापित करना था। एएफएमएस के अधीन देशभर में 127 अस्पतालों और 87 फील्ड मेडिकल यूनिट काम करते हैं। एएफएमएस सेवारत सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को रोगों की रोकथाम, इलाज और पुनर्वास की व्यापक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराता है। एएफएमएस ने युद्धभूमि में चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना अथवा आधुनिक चिकित्सा संस्थानों में सर्वाधिक आधुनिक और विशिष्ट उपचार प्रदान करने में सदा सराहनीय भूमिका अदा की है।
सेना चिकित्सा कोर (एएमसी) ने पहली जनवरी, 2014 को अपना 250वां स्थापना दिवस मनाया। आईएमएस के 250वें वर्ष में उल्लेखनीय नामों में भारत में जन्मे एक ब्रिटिश सैनिक डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस का नाम भी शामिल है। उन्हें मलेरिया के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए 1902 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सहायक सर्जन एस.सी.जी. चक्रवर्ती पहले भारतीय थे जिन्होंने 24 जनवरी, 1855 को चिकित्सा सेवा में प्रवेश किया।