सामान्य ज्ञान
लाओस (आधिकारिक रूप से लाओस जनवादी लोकतांत्रिक गणतंत्र ) दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। इसकी सीमाएं उत्तर पश्चिम में बर्मा और चीन से, पूर्व में कंबोडिया, दक्षिण में वियतनाम और पश्चिम में थाईलैंड से मिलती है। इसे हजार हाथियों की भूमि भी कहा जाता है। 20 जनवरी सन 1893 ईसवी को फ्रांस ने अपने एशियायी उपनिवेशों में विस्तार करते हुए लाओस क्षेत्र को भी अपने उपनिवेश में शामिल कर लिया।
लाओस, जो दक्षिण पूर्व में स्थित है, सन 1945 अर्थात 52 वर्षों तक फ्रांस के अधिकार में रहा। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में लाउस कुछ समय के लिए जापान के अधिकार में चला गया किंतु थोड़े ही समय बाद फ्ऱास की सेना ने जापानियों को इस क्षेत्र से बाहर निकाल दिया। सन 1949 में लाओस स्वाधीनदेश के रुप में फ्रांस संघ में शामिल हो गया, किंतु बाद में लाओस की जनता के विद्रोह और भारत तथा, चीन के साथ युद्ध में फ्ऱांस की पराजय के कारण पेरिस सरकार लाओस को सन 1954 में स्वतंत्रता देने पर विवश हो गई।
इसका क्षेत्रफल 88 हजार 780 वर्ग मील है। इसके उत्तर में चीन एवं उत्तरी वियतनाम, दक्षिण में कंबोडिया, दक्षिण पश्चिम में थाईलैंड की सीमा पर मेकांग नदी बहती है। जलवायु उष्णकटिबंधीय है। अप्रैल सबसे गरम मास है। ताप 22 डिग्री से 34डिग्री सें. के मध्य रहता है। लाओस का लगभग 2/3 भाग जंगलों से ढंका है। जगंलों में हाथी, तेंदुआ, चीता एवं सर्प आदि मिलते हैं। यहां की भाषा थाई प्रकार की है, जिसमें संस्कृत, पाली तथा फ्रांसीसी शब्दों की भरमार है। फ्रांसीसी राजकाज की द्वितीय भाषा है। बौद्ध धर्म प्रमुख है। धान सर्वप्रमुख कृषि उपज है। सब्जियों में ककड़ी, टमाटर, प्याज, फलियां (बीन) एवं मिर्च आदि उगाई जाती हैं। अन्य कृषि उत्पादों में इलायची, मक्का, काफी, चाय, कपास, पटुवा तथा तंबाकू का स्थान आता है। पहाड़ी भागों में अफीम के पौधे भी उगाए जाते हैं। टिन तथा सेंधा नमक प्रमुख खनिज हैं। यहां की राजधानी वियेंटाइन है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक
राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक (एनआईए विधेयक), भारत सरकार का एक कानून है जो आतंकवाद से लडऩे के निमित्त बनाया गया था। यह दिसम्बर, 2008, में भारतीय लोकसभा में पारित हुआ था। इस कानून में कई कड़े प्रावधान देने की बात कही गई है।
इस एजेंसी को विशेष अधिकार दिए गए हैं ताकि आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच तेजी से की जा सके। अब यह जिम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे। एनआईए के सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जांच के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं। एनआईए को 180 दिन तक आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। फिलहाल जांच एजंसी को गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर ही चार्जशीट फाइल करनी होती है। विदेशी आतंकवादियों को जमानत नहीं मिल पाएगी। एनआईए के अपने विशेष वकील और अदालतें हैं जहां आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती है।