विचार / लेख
-प्रकाश दुबे
2020 की चार सौ बीसी खत्म हुई। अच्छे दिन की खुशी में मन भर लड्?डू खाओ। छोटे मुंह इतनी बड़ी बात अदना इंसान नहीं करता। यह तो निर्मला सीतारामन के वश की बात है। कठिन समय में सरकारी तिजोरी भरने की कश्मकश के साथ बजट तैयार करने के साथ दोहरी जिम्मेदारी जबर्दस्त तरीके से निभाई। बानगी देखिए-ट्रेक्टरों की बिक्री बढऩे से साबित हुआ कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के कारण ग्रामीण क्षेत्र में परेशानी दूर हुई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के कारण रोजगार बढ़ोत्तरी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की बदौलत रिकार्ड खरीदी से देहात खुशहाल हैं। दोपहिए, तिपहिए वाहनों और ट्रेक्टरों की बिक्री ऐसी बढ़ी कि मार्च 2020 के वाहन पंजीयन का मार्च 2020 का आंकड़ा मात खाएगा। इतनी सुहानी रपट वित्त मंत्रालय जारी कर चुका है। इस रपट के आधार पर बजट की चमक का अंदाज़ लगाकर खुश हो सकते हैं। बढ़ती आमदनी से खरीदे गए ट्रेक्टर दिल्ली परिक्रमा करने पर आमादा क्यों हैं? यह सोचकर परेशान होना आपका काम नहीं है। मुंह में लड्?डू रखकर मीठा बोलो।
कटी पतंग की डोर
पेशे से कूटनय भले हों, लेकिन हरदीप सिंह पुरी राजनीति में नए खिलाड़ी हैं। नागरिक विमान मंत्रालय ने 6 जनवरी से मुंबई और दिल्ली से विलायत जाने वालों के लिए उड़ानें शुरु कराईं। प्रवासी दिवस पर आने वाले भारतीयों तथा गणतंत्र दिवस पर ब्रितानी प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने उम्मीद को पंख लगाए। इसलिए लगे हाथों सवारियों की भरमार का दावा कर डाला। बिकाऊ कतार में शामिल एयर इंडिया को रौनक लौटने की आस बंधी। महामारी के नए वायरस को साथ लाए कुछ यात्री ब्रिटेन से उडक़र आए थे। हवाई अड्?डे से कुछ सैलानियों के लापता होने से पूरी सरकार हैरान थी। इन दिनों चीन और पाकिस्तान सीमा से अधिक निगरानी दिल्ली के सिंघु बार्डर पर है। इसके बावजूद भगोड़े यात्रियों को दबोचने के लिए विमानतल पर पुलिस गश्त तेज कर दी गई है। बोरिस ने भारत यात्रा रद्द कर एयर इंडिया की उम्मीदों की पतंग सद्दी से काट दी। पेशे से पत्रकार। फिर राजनीति में घुस गया। तिस पर गोरा। यात्रा रद्द करने पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन के प्रति तीन तीन अपशब्द काफी हैं।
मनसुख का तन सुख
भारतीय जनता पार्टी का बुरा चाहने वालों के लिए बुरी खबर। भरूच के लोकसभा सदस्य मनसुख वसावा कमर और गले का दर्द से मुक्ति पा सकेंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखिया डाक्टश्र हैं और वैद्य भी बउ ओहदे पर हैं। संघ के किसी डाक्टर या वैद्य ने यह जानकारी नहीं दी। बहरहाल खबर पक्की है कि मनसुख भाई दिल्ली के नार्थ एवेन्यू-डुप्लेक्स में बने रहने के लिए राजी हो चुके हैं। गुजरात के आकाश पर पतंगें लहरा रहीं हैं। स्थानीय निकाय के चुनाव का मौसम है। आदिवासी समुदाय को बताया जा रहा है कि मनसुख भाई सचमुच खुश हैं। न संसद सदस्यता छोड़ी और न पार्टी। प्रधानमंत्री की पुकार पर मनसुख भाई वर्ष 2019 में तीन लाख के अंतर से जीते थे। अब फिर प्रधानमंत्री के आदेश पर मनसुख भाई ने नाराजगी को नर्मदा में ड़ुबकी लगवा दी। प्रधानमंत्री के चहेते नौकरशाह पर नकेल तो नहीं कस सके। भाजपा के किसी राजनीतिक आपरेशन करने वाले डाक्टर ने कहा-सांसद रहोगे तो कमर और गले का मुफ्त उपचार होगा। तनसुख की खातिर, भोला भाला मनसुख मान गया।
पंचमेल खिचड़ी
कुछ धुरंधरों का वश चले तो अपने जैसे भारतीय नागरिक बंधुओं को चलता-फिरता पाकिस्तान साबित करने की कोशिश करने से न चूकें। प्रेम, पसंद और परिणय से पहले धर्म-परिवर्तन की पड़ताल के कानून बन रहे हैं। अध्यापक देवेन्द्र यादव का गांववालों से गहरा भाईचारा था। धार्मिक एकता का देवेन्द्र ने नया नुस्खा निकाला। बेटी का नाम नज्मा और और बेटे का सलीम रखा। नाम और धर्म में अंतर जानने वालों को हैरानी होती। पाठशाला सहित सरकारी कामकाज में आए दिन झंझट के बाद नज्मा नीलम हुई और शहजादे सलीम योगेन्द्र बने। किसानों की लड़ाई से जुड़े योगेन्द्र दो दिन मोर्चा छोडक़र गायब रहे। पिता देवेन्द्र यादव का अंतिम संस्कार करने के बाद वापस मोर्चे पर आ डटे। जाति और धर्म की संकीर्ण सरहद लांघकर किसानों के साथ जाड़े के थपेड़े सह रहे हैं। योगेन्द्र की मान्यता है कि खिचड़ी सेहत के लिए और मिली जुली संस्कृति देश की सेहत के लिए मुफीद हैं।
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)