सामान्य ज्ञान
टेक्सास हॉर्न एक प्रकार की छिपकली है। इसमें एक बेहद खास गुण है इसका पानी जुटाने का हुनर। ये ऐसी जगह रहती हैं जहां पानी का कोई स्रोत नहीं होता। असल में उसकी त्वचा में मौजूद रंध्रों के बीच माइक्रोस्कोपिक चैनल होते हैं, जो रेत की नमी में मौजूद पानी की बहुत कम मात्रा को भी खींचते हुए आखिरकार छिपकली के मुंह तक पहुंचाते हैं।
इसकी त्वचा में पाए जाने वाले हर रंध्र के बीच छोटे चैनल होते हैं। ये बहुत ही छोटे होते हैं, इनमें कैपिलरी इफेक्ट होता है, जो बिना किसी ऊर्जा के पानी को ऊपर की ओर खींचता है और इन चैनलों की खासियत यह है कि ये सब मुंह की तरफ जाते हुए संकरे होते जाते हैं। इन चैनलों के जरिए पानी तेजी से मंजिल की ओर बढ़ता है। अगर छिपकली के शरीर के निचले हिस्से को नीले रंग के पानी में रखा जाए तो रंगीन पानी तेजी से पैर की ओर फैल जाता है और छाती से होता हुआ मुंह की तरफ बहने लगता है। रंध्रों के बीच के चैनल आखिर कैसे दिखते हैं, इसे इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप पर देखा जा सकता है।
छिपकली का यह गुण वैज्ञानिकों को प्रभावित कर रहा है। टेक्निकल यूनिवर्सिटी आखेन के रिसर्चर छिपकली की त्वचा में मौजूद इन वॉटर चैनलों की जियोमैट्री को समझकर इसे प्लास्टिक और मेटल सरफेस पर आजमाना चाहते हैं। ऐसा हुआ तो बिना किसी ऊर्जा के इस्तेमाल के, द्रव गुरुत्व बल के उलट ऊपर की ओर बहने लगेगा। सटीक टेस्टिंग के लिए रिसर्चरों ने टेक्सास हॉर्न छिपकली को प्रिजर्व किया है। एक हाई स्पीड कैमरे की मदद से वे देखते हैं कि पानी की बूंदें अलग-अलग दिशाओं में फैलने के बजाए कितनी तेजी से छिपकली की त्वचा से मुंह की ओर जाती हैं।
छिपकली की त्वचा के भीतर और भी कई गुण हैं। रिसर्चरों को अभी उनमें से सिर्फ एक ही पता चला है। बिना किसी ऊर्जा के लिक्विड को ट्रांसपोर्ट करना, छिपकली की मदद से यह तकनीक भविष्य में मदद कर सकती है, लेकिन प्रकृति के इस जटिल रहस्य को सुलझाने के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा।