सामान्य ज्ञान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की सुविधा ‘जीवन प्रमाण’ को 10 नवंबर 2014 को प्रारंभ किया है। यह सुविधा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी ‘आधार’ पर आधारित होगी। ‘जीवन प्रमाण’ सुविधा के तहत अब पेंशनभोगियों को अब हर वर्ष सरकारी दफ्तर में हाजिर होकर खुद के जिंदा होने का सुबूत देने की जरूरत नहीं होगी। अब पेंशनभोगी इस सुविधा के तहत घर बैठे ही यह प्रमाण दे सकेंगे। इस सुविधा से लगभग एक करोड़ से अधिक पेंशनभोगी लाभान्वित होगें।
‘जीवन प्रमाण’ के लिए एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन का विकास इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग, भारत सरकार ने किया है। इस सॉफ्टवेयर में एक बॉयोमीट्रिक रीडिंग डिवाइस लगाई जाएगी, फिर इसकी मदद से पेंशनभोगी के ‘आधार’ नंबर एवं बॉयोमीटिक आंकड़े को उसके मोबाइल या कंप्यूटर से दर्ज किया जा सकेगा। पेंशनभोगियों से जुड़े अहम विवरण को वास्तविक समय में केंद्रीय डाटाबेस पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें तिथि, समय और बॉयोमीट्रिक सूचनाएं शामिल होंगी। इस व्यवस्था से पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र पाना संभव होगा। इस प्रक्रिया से इसकी पुष्टि हो जाएगी कि सत्यापन के समय पेंशनभोगी जिंदा था।
इसके पहले पेंशनभोगियों को पेंशन वितरण करने वाली एजेंसी के समक्ष पेश होना पड़ता था या केंद्रीय पेंशन लेखांकन कार्यालय से निर्दिष्ट प्राधिकरणों की ओर से जारी लाइफ सर्टिफिकेट देना पड़ता था।