सामान्य ज्ञान
देश के स्वतंत्रता आंदोलन के एक सुदृढ़ स्तंभ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी नेता वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के रूप में कुशल प्रशासक तथा दक्ष रणनीतिकार की ख्याति अर्जित की। किन्तु उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 565 देसी रियासतों का भारतीय संघ में विलय मानी जाती है। देश के राजनीतिक इतिहास में पटेल के अविस्मरणीय योगदान का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें जवाहर लाल नेहरू के साथ महात्मा गांधी का दायां व बायां हाथ माना जाता था।
स्वतंत्रता पश्चात् बनी अंतरिम सरकार में नेहरू जी प्रधानमंत्री और पटेल जी उप प्रधानमंत्री बने। कहा जाता है कि पहले से ही यह चर्चा चल पड़ी थी कि नेहरू और पटेल में से ही कोई एक प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभालेगा। गांधी जी की इच्छा के अनुरूप सरकार में नेहरू को प्रथम और पटेल को द्वितीय स्थान मिला। कुछ इतिहासकार आज तक यह कहते हैं कि यदि उस समय पटेल को प्रधानमंत्री पद मिलता तो देश की राजनीतिक एवं आर्थिक दशा-दिशा भिन्न होती। 31 अक्तूबर वर्ष 1875 को भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ। वे नवीन भारत के निर्माता थे और राष्ट्रीय एकता पर बहुत अधिक बल देते थे।
उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा मुख्यत: स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होने बैरिस्टर की पढाई पूरी की और वापस आकर गुजरात के अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा संघर्ष था। गुजरात का खेड़ा खण्ड उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी। 15 दिसंबर वर्ष 1950 को उनका निधन हो गया।
उनकी जयंती को केंद्र सरकार राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रही है।