विचार / लेख
-रमेश अनुपम
आज छत्तीसगढ़ के सुपुत्र किशोर साहू का जन्मदिवस है। किशोर साहू जिन्हें देविका रानी से लेकर अपने समय की अनेक नामचीन अभिनेत्रियों के साथ अनेक सुपर-डुपर हिट फिल्मों में काम किया है तथा अनेक सुपर-डुपर फिल्में दी है।
उनके खाते में ‘मयूर पंख’, ‘सिंदूर’, ‘वीर कुणाल’, ‘राजा’, ‘जीवन प्रभात’, ‘सावन आया रेे’ जैसी अनेक फिल्में हैं।
सन 1948 में उन्होंने दिलीप कुमार और कामिनी कौशल को लेकर ‘नदिया के पार’ जैसी हिट फिल्म बनाई जिसमें छत्तीसगढ़ी बोली और गीत-संगीत को प्रश्रय दिया।
तो वहीं दूसरी ओर दिलीप कुमार जैसे अभिनेता को कैरियर संभालने का मौका दिया।
दुर्ग में जन्मे और राजनांदगांव में पढ़े-लिखे किशोर साहू किसी जमाने में हिंदी सिनेमा के सरताज हुआ करते थे।
दिलीप कुमार, राज कपूर और देवानंद जैसी हस्तियां उनके आगे पीछे मंडराती थी। राजकुमार, मनोज कुमार, माला सिन्हा, साधना जैसे अनेक अभिनेता-अभिनेत्रियों को उन्होंने हिंदी फिल्म में प्रवेश दिलवाया और उनके कैरियर को चमकाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ऐसे किशोर साहू को छत्तीसगढ़ शासन ने ही आज भुला दिया है।
आज 22 अक्टूबर है किशोर साहू का जन्मदिन लेकिन इस सरकार को तथा इसके हुक्मरानों को इसका पता ही नहीं है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किशोर साहू की स्मृति में प्रतिवर्ष प्रदान किए जाने वाले ‘किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण’ जिसके अंतर्गत 10 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है उसका भी पिछले दो सालों से कोई अता-पता ही नहीं है।
यह अलग बात है कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर फिर से इस वर्ष एक नवम्बर को 24 पुरस्कारों के नाम पर दो-दो लाख रुपयों की रेवडिय़ां बांटी जानी है।