सामान्य ज्ञान
थबल चोंगबा एक लोकप्रिय मणिपुरी नृत्य है, जो होली के त्यौहार के साथ संबंधित है। थबल का शब्दिक अर्थ है चंद्रमा की रोशनी और चोंगबा का अर्थ है नृत्य, इस प्रकार इसका पूरा अर्थ है चंद्रमा की रोशनी में नृत्य करना।
पारम्परिक रूप से पुरानी विचारधारा वाले मणिपुरी अभिभावक अपनी बेटियों को उनकी स्वीकृति के बिना बाहर जाने और युवाओं से मिलने की अनुमति नहीं देते थे। इस लिए थबल चोंगबा ने लड़कियों को लडक़ों से मिलने और बाते करने का एक मात्र अवसर दिया जाता है। पुराने समय में यह नृत्य लोक गीतों के साथ चंद्रमा की रोशनी में किया जाता था। इसमें उपयोग किया जाने वाला एक मात्र संगीत वाद्य ढोला कोर ड्रम है। इसे त्यौहार के पूरे 6 दिनों तक हर स्थान पर आयोजित किया जाता है। यहां आग के स्थान पर एक झोंपड़ी बनाई जाती है और फिर उसे जलाया जाता है। अगले दिन लडक़े समूह में जाकर लड़कियों के साथ गुलाल खेलते हैं और लडक़ों के साथ गुलाल खेलने के बदले में लड़कियां लडक़ों से पैसे लेती हैं।
मैकडोनाल्ड निर्णय क्या है?
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की समाप्ति पर रैम्से मैकडोनाल्ड ने अगस्त 1932 में सांप्रदायिक निर्णय की घोषणा की। इस नवीनतम घोषणा में दलित वर्ग को भी मुसलमान, सिख ईसाई के साथ अल्पसंख्यक वर्ग में रख दिया गया, जिसके सदस्यों का चुनाव पृथक निर्वाचक मंडल द्वारा होना था।
गांधीजी ने दलितों को अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल करने तथा उन्हें पृथक निर्वाचन का अधिकार देने की सरकार के निर्णय की आलोचना की। उन्होंने दलित वर्ग के प्रतिनिधियों का चुनाव वयस्क मताधिकार द्वारा आम निर्वाचक मंडल के माध्यम से कराने की बात कही तथा उसके लिए विधानसभाओं में अधिक मात्रा में सुरक्षित सीटों का समर्थन किया। अपनी मांग के समर्थन में गांधीजी ने रैम्से मैकडोनाल्ड को एक पत्र लिखा तथा 20 सितम्बर, 1932 से वे आमरण अनशन पर बैठ गए। 5 दिन तक लगातार विचार-विमर्श के बाद 26 सितंबर, 1932 को गांधी और अंबेडकर के मध्य पूना समझौता हुआ। समझौते के अनुसार दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त कर दी गई, लेकिन विधानमंडलों में दलितों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई। केंद्रीय विधानमंडल में इनके लिए सुरक्षित सीटों की संख्या 18 प्रतिशत कर दी गई।