सामान्य ज्ञान
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर काफी प्राचीन है और इसका अपना धार्मिक महत्व है। इसे एक शक्तिपीठ माना जाता है। पुराणों के अनुसार, शक्ति पीठों में शक्ति मां उपस्थित होकर जन कल्याण के लिये भक्त जनों का परिपालन करती हैं। भारत में स्थित छह शक्ति पीठों में कोल्हापुर में स्थित शक्तिपीठ बहुत ही सुप्रसिद्ध है। भगवान् विष्णु के पत्नी होने के नाते इस मंदिर का नाम माता महालक्ष्मी से जोड़ा गया है और मान्यता है कि इस जगह में महाविष्णु महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं।
मंदिर का निर्माण चालुक्य राजाओं ने किया था। मंदिर में काला पत्थर के मंच पर, देवी महालक्ष्मीजी की चार हाथों वाली प्रतिमा स्थापित है। इसी मंदिर के अन्दर नवग्रहों, भगवान् सूर्य, महिषासुर मर्धिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि देवी देवताओं की भी पूजा होती है।
यह मंदिर 27 हजार वर्गफीट में फैला हुआ है। आदि शंकराचार्य ने महालक्ष्मी की मूर्ति की मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की थी। जनवरी वर्ष 2010 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के महाखज़ाने ने सबकी आँखें चौंधिया दीं थीं। करीब 900 साल पुराने इस मंदिर में खज़ाने की गिनती के दौरान बेशुमार करोड़ों के हीरे- जवाहरात औऱ आभूषण पाए गए थे। कहा जाता है कि मंदिर में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक ने चढ़ावा चढ़ाया था।