सामान्य ज्ञान
विश्व में ट्यूलिप पुष्पों की लगभग 100 प्रजातियां मिलती हैं, जो दक्षिणी यूरोप, उत्तर अफ्रीका और एशिया से हैं। ये बारहमासी और बल्बधारी पौधे होते हैं, जो 10-70 सें.मी. तक ऊंचे होते हैं। इन पर छ: पंखुडिय़ों वाले बड़े फ़ूल खिलते हैं। ईरान और तुर्की के राष्ट्रीय पुष्प होने के अलावा, ट्यूलिप नीदरलैंड से इतने संबंधित रहे हैं, कि इनकी एक प्रजाति को डच ट्यूलिप्स भी कहा जाता है।
ट्यूलिप वसंत ऋतु में फूलनेवाला पादप है। ट्यूलिप के नैसर्गिक वासस्थानों में एशिया माइनर, अफगानिस्तान, कश्मीर से कुमाऊं तक के हिमालयी क्षेत्र, उत्तरी ईरान, टर्की, चीन, जापान, साइबीरिया तथा भूमध्य सागर के निकटवर्ती देश विशेषतया उल्लेखनीय हैं। वनस्पति विज्ञान के ट्यूलिया वंश का पारिभाषिक उद्गम ईरानी भाषा के शब्द टोलिबन (अर्थात् पगड़ी) से इसलिए माना जाता है कि ट्यूलिप के फूलों को उलट देने से ये पगड़ी नामक शिरोवेश जैसे दिखाई देते हैं। ट्यूलिपा वंश के सहनशील पौधों का वानस्पतिक कुल लिलिएसिई है। टर्की से यह पौध 1554 ई0 में ऑस्ट्रिया, 1571 ई. में हॉलैंड और 1577 ई. में इग्लैंड ले जाया गया। इस पौधे का सर्वप्रथम उल्लेख 1559 ई. में गेसनर ने अपने लेखों और चित्रों में किया था और उसी के आधार पर ट्यूलिपा गेसेनेरियाना का नामकरण हुआ।