सामान्य ज्ञान

केले की एक नई प्रजाति
17-Oct-2020 12:24 PM
केले की एक नई प्रजाति

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) के वैज्ञानिकों ने अंडमान द्वीपसमूह के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में केले की एक नयी प्रजाति, मूसा इंडनडेमेनेंसिस की खोज की है।
यह प्रजाति द्वीपसमूह के कृष्णा नाला से 16 किलोमीटर अंदर वनों में पायी गयी। यह केले खाने में साधारण केलों की अपेक्षा अधिक मीठे हैं तथा इन्हें यहां के स्थानीय जनजातीय लोगों द्वारा खाया जाता है।
मूसा इंडनडेमेनेंसिस विश्व की एक विलुप्तप्राय प्रजाति है जिसके वृक्ष पर हरे रंग के फूल खिलते हैं तथा यहां साधारण केलों की तुलना में तीन गुना अधिक बड़े फलों के गुच्छे लगते हैं।  इसका गूदा संतरी रंग का होता है जो साधारण केलों के सफ़ेद एवं पीले गूदे से पूर्णतया भिन्न है।
इसके पेड़ की ऊंचाई 11 मीटर है जबकि साधारण केले के पेड़ की ऊंचाई तीन से चार मीटर होती है। फल के गुच्छे एक मीटर की लम्बाई के होते है जो कि साधारण प्रजाति से तीन गुना अधिक है। इस प्रजाति के फूल शंक्वाकार हैं जबकि अन्य प्रजातियों के फूल बेलनाकार होते हैं।
दूसरी प्रजातियों से भिन्न इस प्रजाति के बीजों को पौधारोपण के लिए प्रयोग किया जा सकता है। मूसा इंडनडेमेनेंसिस की विस्तृत जानकारी टैकसोनौमी और जीवन विज्ञान की अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका ‘ताइवाना’  में प्रकाशित की गई। वर्तमान में विश्व भर में केले की 52 प्रजातियां विद्यमान हैं जिसमें 15 भारत में हैं।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण , भारत सरकार के वन एवं पर्यावरन मंत्रालय के अधीन एक वनस्पति वैज्ञानिक संस्थान है। इसकी स्थापना 1887 अंग्रेजी राज के समय में हुई थी जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के पादप-संसाधनों का सर्वेक्षण करना था।
 

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