विचार / लेख

भविष्य में किसान और नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें: कक्का जी
01-Oct-2020 10:59 AM
भविष्य में किसान और नुकसान उठाने के लिए  तैयार रहें: कक्का जी

प्याज उत्पादक किसानों की सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब प्याज पैदा होकर उनके घर आता है। फोटो: सुरेश बाबू

आम उपभोक्ता अपनी जरूरत के हिसाब से प्याज खरीदता है, लेकिन उत्पादन एक साथ टनों में होता है, जिसे व्यापारी किसान से खरीद लेते हैं और फिर अपनी कीमतों पर आगे बेचते हैं

अनिल अश्विनी शर्मा व विक्रांत भट्ट

सरकार द्वारा प्याज के निर्यात प्रतिबंध पर देशभर के किसानों की कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। विशेष रूप से इस साल (2020) जब किसान पहले से ही लॉकडाउन के कारण पीड़ित थे, लेकिन निर्यात से उनके पास कुछ वापस आ रहा था तभी सरकार के इस कदम ने उन्हें भारी नुकसान उठाने पर मजबूर कर दिया। यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि बीते अगस्त माह में मौसम की चरम घटनाओं ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इसका मतलब है कि भविष्य में किसानों को और नुकसान उठाने के लिए तैयार रहना होगा। इन सभी मुद्दों पर डाउन टू अर्थ ने मध्य प्रदेश के कृषि विशेषज्ञ शिव कुमार शर्मा जो कि “कक्का जी” के नाम से अधिक जाने जाते हैं, बातचीत की 

प्रश्न-मध्य प्रदेश में प्याज की खेती करने वाले किसान किस प्रकार से प्रभावित हो रहे हैं?

कक्का जी- मध्य प्रदेश में प्याज की थोड़ी-थोड़ी खेती तो लगभग हर जिले में होती है। परंतु राज्य के मालवा और निमाड़ के कुछ जिलों में यह बहुत बड़ी मात्रा में होता है। प्याज की खेती यदि रेट सही रहे तो मुनाफे की होती है। प्याज की खेती में लागत बहुत ज्यादा है। मौसम का बहुत ज्यादा इस पर प्रभाव होता नहीं है। परंतु जब प्याज पर फूल आ रहे हो और ओले गिर जाए तो फसल नष्ट हो जाती है।

प्रश्न- प्याज उत्पादक किसानों की सबसे बड़ी समस्या कब होती है?

कक्का जी- प्याज उत्पादक किसानों की सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब प्याज पैदा होकर उनके घर आता है। उसका स्टोरेज कैसे हो ये विडंबना है कि जितने बजट में प्रदेश में 400 से 500 स्टोरेज डेवलप हो जाते उतनी राशि का प्याज तो सड़कर बर्बाद हो चुका होता है। जब दबाव बनता है तो सरकार प्याज खरीद लेती है लेकिन वह पर्याप्त स्टोरेज के अभाव में नष्ट हो जाता है। उसकी सफाई में बहुत खर्च होता है और यह क्रम जारी है जो शिवराज सिंह चैहान के कार्यकाल में सबसे ज्यादा हुआ है।

प्याज के बड़े व्यापारी किस प्रकार प्याज का रेट बढ़ाते हैं?

कक्का जी- आम तौर पर घरों में प्याज की खपत थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हर रोज होती है और उसके उपभोक्ता जरूरत के अनुसार कम मात्रा में ही उसे क्रय करते हैं। जबकि प्याज का उत्पादन टनों में होता है। तब बड़े-बड़े व्यापारी उसको खरीद लेते हैं और वो प्याज को अपने दाम पर खरीदते हैं। तो रेट को कम कर देते हैं। दो रूपए किलो तक की प्याज बिकी है मप्र में। सीजन में पूरे देश में प्याज एक साथ आता है। बहुत मात्रा में उत्पादन आता है तो फिर व्यापारी उसका भाव गिरा देता हैं, इस कम कीमत का एक बड़ा कारण है और फिर बीच मौसम में वे आढ़तियों को छोटे व्यापारियों को अपने दाम पर देते रहते हैं तो किसान को तो उसका भाव नहीं मिल पाता है और बढ़ा हुआ भाव मिलता है प्याज का स्टोर करने वालों को।

प्रश्न-हाल ही में केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसका क्या प्रभाव होगा?

कक्का जी- निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाया गया है, उससे कीमतें गिर जाएंगी और किसानों को उनका सही दाम नहीं मिल पाएगा। आयात- निर्यात पर इनका सही नियंत्रण है ही नहीं। इसके पूर्व भी पिछले कार्यकाल में कपास के निर्यात पर 18 बार प्रतिबंध लगाया था, जिससे उसकी कीमते 25 प्रतिषत रह गई थी। खाड़ी देशों में मसूर की दाल की बहुत डिमांड रहती है, उस पर प्रतिबंध लगाया जिससे उसकी कीमतें गिर गईं थी। ऐसा ही आयात के मामलों में भी हो रहा है। जो पैदावार हमारे यहां हो रही है उसे आयात किया जाएगा तो भी किसानों को उससे हानि ही होगी। आयात- निर्यात सही अनुपात में सामंजस्या होना चाहिए।

प्रश्न- प्याज को लाभ की खेती बनाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?

कक्का जी-प्याज को मुनाफे की खेती बनाने के लिए सरकार को पर्याप्त स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी। जितने बजट में सैकड़ों स्टोरेज की व्यवस्था हो जाती है।(downtoearth)

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