सामान्य ज्ञान
25 सितंबर 1992 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1,018 किलोग्राम का एक रोबोट मार्स ऑब्जर्वर स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजा। इसका नाम मार्स जियोसाइंस क्लाइमेटोलॉजी ऑरबिटर था। इस रोबोट का उद्देश्य था मंगल ग्रह की सतह, वातावरण, मौसम और चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाना। यान मंगल की कक्षा में पहुंचता उससे तीन दिन पहले, 21 अगस्त 1993 को नियंत्रण केंद्र का संपर्क यान से टूट गया। इसके बाद इससे कोई संपर्क नहीं बन सका। वर्ष 1984 में फिर सोलर सिस्टम एक्सप्लोरेशन कमेटी ने उच्च प्राथमिकता वाला मार्स मिशन बनाया।
इस अंतरिक्ष यान को मंगल ग्रह के एक साल यानी 687 दिन तक इस ग्रह को देखना था। एक साल से थोड़े कम में यह अंतरिक्ष यान मंगल पर पहुंच गया था। इसके बाद 2012 में मार्स रोवर नाम का मशहूर अंतरिक्ष यान मंगल पर पहुंचा, जिसने इस लाल ग्रह के बारे में बहुत जानकारी और तस्वीरें धरती पर भेजीं।
वैसे तो सोचा गया था कि ऑपर्चुनिटी रोवर मंगल पर एक किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय नहीं करेगा, लेकिन दस साल पहले भेजे गए इस रोवर ने अब तक मंगल ग्रह की ऊपरी सतह पर 40 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है जो कि एक रिकॉर्ड है। ऑपर्चुनिटी ने इसी के साथ 1973 के रूसी रोवर लूनोखोद 2 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। लूनोखोद 2 ने चांद पर पांच महीने के अंदर 39 किलोमीटर की यात्रा की थी। ऑपर्चुनिटी का जुड़वां रोबोट स्पिरिट 2010 में ही बंद पड़ गया था, लेकिन ये रोवर चलता ही जा रहा है। सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी बाकी है और वह 42.2 किलोमीटर की दूरी तय करके मैराथन घाटी पहुंच जाएगा। इस बिंदू को नासा के वैज्ञानिकों ने मैराथन घाटी नाम दिया है। 2012 अगस्त से यह भी मंगल के चक्कर लगा रहा है। छह अगस्त 2014 को क्यूरियोसिटी ने मंगल पर अपनी दूसरी सालगिरह मनाई।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि क्यूरियोसिटी मंगल से जो पत्थर इक_े करेगा वो वहां पर पानी की उपलब्धता के बारे में बता सकेंगे। क्यूरियोसिटी के कारण उड़ी धूल का भी विश्लेषण किया जाएगा। वैज्ञानिकों को मंगल पर सल्फर, नाइट्रोजन, फॉस्फरस और कार्बन मिले जो जीवन की उत्पत्ति में अहम भूमिका निभाते हैं। 900 किलोग्राम का ये रोवर सौर ऊर्जा और रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर से चलती है। इसकी बैटरी रेडियोएक्टिव पदार्थों से ऊर्जा बनाती है। क्यूरियोसिटी का लक्ष्य वैसे तो पूरा हो गया है लेकिन वह काम किए जा रहा है। शायद किसी दिन उसे रास्ते में ऑपर्चुनिटी मिल जाए और दोनों साथ साथ मंगल का चक्कर लगाएं। क्यूरियोसिटी सिर्फ आसपास की तस्वीरें नहीं लेता, वह खुद की भी बहुत तस्वीरें लेता है और धरती पर भेजता है।