अंतरराष्ट्रीय
खोजी पत्रकारों ने कई बड़े बैंकों के ज़रिए दुनिया के कई देशों से चलने वाले एक मनी लॉन्ड्रिंग के पेचीदा नेटवर्क का पर्दाफ़ाश किया है.
मनी लॉन्ड्रिंग पर शिकंजा कसने वाली अमरीकी संस्था फ़ाइनेंशियल क्राइम्स एन्फ़ोर्समेंट नेटवर्क (FinCEN) या फ़िनसेन की संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टों या एसएआर से पाकिस्तान से दुबई और अमरीका तक फैले हेरा-फेरी के एक बड़े नेटवर्क का पता चलता है.
'सस्पिशस एक्टिविटी रिपोर्ट' को संक्षेप में एसएआर कहा जाता है. ऐसी हज़ारों फ़ाइलों को खोजी पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) ने खंगाला है जिनसे कई राज़ सामने आए हैं, बीबीसी भी आइसीआइजे से जुड़ी हुई है.
आर्थिक फ़र्जीवाड़े का यह नेटवर्क अल्ताफ़ खनानी नाम का एक पाकिस्तानी नागरिक चला रहा था, जिसे भारत से फ़रार माफ़िया सरगना दाऊद इब्राहिम के पैसों का इंतज़ाम देखने वाले मुख्य व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है.
न्यूयॉर्क के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की ओर से दाखिल की गई इन एसएआर रिपोर्टों की तहक़ीक़ात अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने की है जो आइसीआइजे में शामिल है.
फिनसेन फाइलों के ज़रिए जो गोपनीय दस्तावेज़ सामने आए हैं उनसे यह भी पता चलता है कि कैसे बड़े बैंकों ने अपराधियों को दुनिया भर में पैसों की लेनदेन की अनुमति दे रखी थी.
इसी सिलसिले में एसआर खनानी की वित्तीय गतिविधियों की तफ़सील यह बताती है कि दशकों तक उन्होंने ड्रग माफ़ियाओं के साथ-साथ तालिबान और अल क़ायदा जैसे चरमपंथी संगठनों के लिए भी तक़रीबन 14 से 16 ट्रिलियन डॉलर इधर से उधर किया है. खनानी के इस धंधे को अमरीकी अधिकारियों ने 'मनी लॉन्ड्रिंग ऑर्गेनाइज़ेशन' नाम दिया है जिसे संक्षेप में एमएलओ लिखा गया है.
दुनिया भर में चली तहक़ीक़ात के बाद 11 सितम्बर 2015 को खनानी को पनामा एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार करके मयामी की जेल में डाल दिया गया था. फिर जुलाई 2020 में हिरासत ख़त्म होने के बाद निर्वासन के लिए अमरीकी इमिग्रेशन अधिकारियों को सौंप दिया गया था. लेकिन इसके बाद यह साफ़ नहीं हो पाया है कि अमरीकी अधिकारियों ने उन्हें निर्वासित कर पाकिस्तान भेजा है या संयुक्त अरब अमीरात (यूएई).
अमरीका के फ़ॉरेन ऐसेट्स कंट्रोल दफ़्तर (ओएफ़एसी) ने खनानी की गिरफ़्तारी के बाद उन पर प्रतिबंध घोषित करते वक़्त, दाऊद इब्राहिम के साथ उनके रिश्तों के दस्तावेज़ तैयार किए थे.
11 दिसंबर 2015 को जारी किए गए एक नोटिस में ओएफ़एसी कहता है, "खनानी के एमएलओ ने आतंकवादियों, ड्रग तस्करों और आपराधिक संगठनों के लिए विश्व भर में खरबों डॉलर का इंतज़ाम करने के लिए कई वित्तीय संस्थाओं से अपने सम्बन्धों का इस्तेमाल किया. खनानी एमएलओ और अल जूरानी एक्सचेंज के प्रमुख अल्ताफ़ खनानी इस मामले में तालिबान तक के लिए पैसों की हेरा-फेरी में शामिल पाए गए हैं. साथ ही लश्कर-ए-तैबा, दाऊद इब्राहिम, अल-क़ायदा और जैश-ए-मोहम्मद से भी उनके रिश्ते हैं".
खनानी की गिरफ़्तारी को भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियाँ एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही थीं. ख़ास तौर पर इस वजह से क्योंकि ओएफ़एसी ने दाऊद इब्राहिम से सीधे सम्बंध के साथ-साथ लश्कर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद से खनानी के तार सीधे तौर पर जुड़े हुए बताए थे.
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि खनानी पर प्रतिबंधों की घोषणा करने वाली उस मूल नोटिस के जारी होने के ठीक एक साल बाद, 10 अक्टूबर 2016 को, ओएफएसी ने खनानी और खनानी एमएलओ से संबंधित कुछ अन्य लोगों के नाम की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में खनानी के परिवार के कई लोग और कुछ 'संस्थाओं' के नाम शामिल थे जो पाकिस्तान में रहते हुए खनानी और उनके नेटवर्क की मदद कर रहे थे.
इन संस्थाओं की लिस्ट में सबसे ऊपर दुबई स्थित मज़ाक़ा जनरल ट्रेडिंग लिमिटेड कम्पनी का नाम आता है. आज उन प्रतिबंधों के घोषित होने के ठीक 4 साल बाद, फ़िनसेन फ़ाइलें यह बताती हैं कि 'मॉस्को मिरर नेटवर्क' में खनानी एमएलओ की आर्थिक पैठ कितनी गहरी थी.
'मिरर ट्रेडिंग' दरअसल व्यवसाय का एक ऐसा अनौपचारिक तरीक़ा है जिसमें व्यक्ति या संस्था एक जगह से सिक्योरिटी ख़रीद कर बिना किसी आर्थिक लाभ के दूसरी जगह बेच देते हैं. इस तरह रकम के मूल स्रोत और अंतिम गंतव्य स्थान की जानकारी छिपा ली जाती है.
फिनसेन फ़ाइलों में 54 शेल कम्पनियों के नामों वाली 20 पन्ने की एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट शामिल है. शेल कंपनियां उनको कहते हैं जो कोई वास्तविक कारोबार नहीं करती बल्कि ऐसे ही लेन-देन के लिए काग़ज़ों पर खड़ी की जाती हैं.
यह रिपोर्ट कहती है कि 2011 से ही यह 54 कंपनियाँ रूस और यूरोप के बाज़ारों में सालाना खरबों डॉलर तक के हेरफेर में शामिल रही हैं.
फिनसेन इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक़ मज़ाका जनरल ट्रेडिंग कम्पनी को मार्च 2013 से अक्टूबर 2016 के बीच मॉस्को मिरर नेटवर्क संस्थाओं के ज़रिए 49.78 मिलियन डॉलर की रक़म मिली थी. इसके साथ ही मज़ाका ने सिंगापुर की 'आस्क ट्रेडिंग पीटीइ' नाम की एक कंपनी से भी लेनदेन किया था.
यहां रोचक यह भी है कि ओएफएसी ने आतंकवादियों को ग़ैरक़ानूनी पैसा पहुँचने वाली 'खनानी मनी लॉन्ड्रिंग ऑर्गेनाइज़ेशन' की मदद करने की वजह से मज़ाका को प्रतिबंधित कर दिया था.
खनानी और मज़ाका की कहानी में भारतीय कड़ियाँ जुड़ती नज़र आती हैं. लीक दस्तावेज़ों के अनुसार न्यूयॉर्क के जेपी मॉर्गन और सिंगापुर के ओवरसीज़ बैंक के साथ साथ बैंक ऑफ़ बड़ौदा की दुबई शाखा का इस्तेमाल भी मज़ाका जनरल ट्रेडिंग और आस्क ट्रेडिंग पीटीइ के बीच लेन-देन के लिए हुआ था.
इसके अलवा मज़ाका जनरल ट्रेडिंग के खातों की तहक़ीक़ात करने पर नई दिल्ली की 'रंगोली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड' का नाम सामने आता है. कपड़ों के थोक व्यवसाय में लगी इस कंपनी की स्थापना 2009 में हुई थी.
फ़िनसेन फ़ाइलों में रंगोली इंटरनेशनल के नाम के आगे तक़रीबन 70 लेन-देन दर्ज हैं जो का पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, विजया बैंक और ऑरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स जैसे कई भारतीय बैंकों से होती हुई यूएई पहुँचती थी.
17 जगहों से चल रही इस हेरा-फेरी का आँकड़ा 10.65 मिलियन डॉलर तक जाता है. इसमें एक महत्वपूर्ण लेनदेन 18 जून 2014 को किया गया था जब मज़ाका जनरल ट्रेडिंग को पंजाब नेशनल बैंक के ज़रिए 136,254 डॉलर भेजे गए.
रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ (आरओसी) के दस्तावेज बताते हैं कि मार्च 2014 के आसपास रंगोली इंटरनेशनल के मुनाफ़े में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. इस वक़्त 339.19 करोड़ के राजस्व पर कंपनी ने 74.87 करोड़ रुपए का नुक़सान उठाया था. 2015 के बाद से कंपनी ने आज तक न ही शेयरहोल्डरों की सालाना बैठक बुलाई है और न ही अपनी सालाना बैलेंस शीट ही जमा की है.
कई भारतीय बैंकों ने रंगोली की चूकों पर अलर्ट भी जारी किए हैं. भारतीय यूनियन और कॉर्पोरेशन बैंकों ने वसूली के लिए रंगोली इंटरनेशनल की अचल सम्पत्ति की नीलामी के नोटिस तक जारी किए थे.
इलाहाबाद बैंक ने तो 2015 में ही इस कंपनी को अपने शीर्ष 50 नॉन परफॉर्मिंग एससेट्स की सूची में शामिल कर लिया था.
इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) की ओर से संपर्क किए जाने पर अल्ताफ़ खनानी के वकील मेल ब्लैक ने कहा, "मिस्टर खनानी ने अपनी ग़लती मान ली है और उसकी लंबी सज़ा जेल में काट चुके हैं. इस दौरान वह अपने परिवार से अलग रहे और उनके भाई की मौत भी हो गई. उनके पास अब कोई पैसा नहीं बचा, सारे अकाउंट फ़्रीज़ कर दिए गए हैं और आगे ओएफ़एसी के ब्लॉक की वजह से उनके दोबारा पैसे कमाने की सारी गुंजाइश ख़त्म हो चुकी है. बीते पाँच सालों से वह किसी भी व्यापरिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं. वह आगे क़ानून को मानने वाले एक साधारण नागरिक का जीवन जीना चाहते हैं".
सम्पर्क करने पर रंगोली इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक लव भारद्वाज ने कहा, "2013 से 2014 के बीच के जिन 70 लेन-देन के बारे में आप पूछ रहे हैं, उनका हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है इसलिए इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं होगा".
"हम कपड़ों में व्यापार में हैं और माल बेचने के बाद भुगतान की राशि का हमारे खातों में आना रूटीन बात है. 18 जून 2014 को पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए जिस ट्रांज़ैक्शन की आप बात कर रहे हैं, उसका कोई रिकॉर्ड हमारे पास मौजूद नहीं है. मज़ाका जनरल ट्रेडिंग और अल्ताफ़ खनानी के साथ न ही हमारा कोई व्यापारिक सम्बंध हैं और न ही हम उन्हें जानते हैं".(bbc)