संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलनकारी..
12-Sep-2020 4:42 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : छत्तीसगढ़ के इतिहास का  सबसे बड़ा आंदोलनकारी..

छत्तिसगढिय़ा स्वामी अग्निवेश जिंदगी के लंबे सामाजिक संघर्ष के बाद कल गुजर गए। यूं तो हम आमतौर पर गुजरे हुए लोगों के बारे में लिखना पसंद नहीं करते क्योंकि श्रद्धांजलि के मौके पर बहुत सी झूठी बातें लिखी जाती हैं, लेकिन अग्निवेश उन लोगों में से रहे जिन्होंने अपनी जिंदगी में जीते-जी ही खूब गालियां खाईं, मार खाई, जान का खतरा झेला, लेकिन फिर भी सामाजिक मोर्चे पर डटे रहे। वे उन लोगों में से नहीं थे जो घर पर या किसी आश्रम में महफूज बैठे हुए मसीहाई-प्रवचन करते रहें, कॉलम लिखते रहें, या बयान जारी करते रहें। वे अपनी पूरी जिंदगी सामाजिक लड़ाई के मोर्चे पर सामने खड़े रहे, अपने मुद्दों पर डटे रहे। और यही वजह है कि आज हम उनके गुजरने पर इस जगह उन्हें याद कर रहे हैं। 

अग्निवेश छत्तीसगढ़ में नाना के घर पले और बड़े हुए, यहीं पढ़े, वकालत से जीवन शुरू किया, लेकिन फिर आर्यसमाजी आंदोलन में वे हिन्दू धर्म के पाखंडों के खिलाफ लड़ाई में उतरे। लेकिन आर्य समाज में रहते-रहते भी अग्निवेश ऐसे मुद्दों की लड़ाई में उतर गए जो कि आर्य समाज के एजेंडा से परे के थे। वे बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने और उनके पुनर्वास की लंबी लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे, और उसका नतीजा देश भर में मजदूरों को फायदे की शक्ल में मिला, हजारों मजदूरों को छत्तीसगढ़ में भी परंपरागत बंधुआ मजदूरी से आजादी मिली, उन्हें पुनर्वास भी मिला। वे आर्यसमाजी होने के साथ-साथ एक सन्यासी के पोशाक में भी रहते थे, और इस नाते उनकी तमाम सुधारवादी कोशिशें हिन्दू धर्म की विकृतियों को घटाने वाली रही, और हिन्दुत्व की साख को बढ़ाने वाली भी रहीं। यह एक अलग बात है कि सीबीआई के एक रिटायर्ड प्रभारी डायरेक्टर रहे, और आईपीएस रहे एम.नागेश्वर राव ने उनकी मौत पर खुशियां मनाते हुए यमराज से शिकायत की है कि वे इस शर्मनाक हिन्दू को ले जाने में इतने लेट क्यों हुए। जाहिर है कि जो धर्म के पाखंड के खिलाफ लडऩे वाले रहते हैं, उनके जिंदा रहने से पाखंडी तो विचलित होते ही हैं। यह भी समझने की जरूरत है कि सीबीआई के सबसे ऊंचे ओहदे तक पहुंचने वाले अफसर की सोच किस तरह की है, और अभी पिछले बरसों तक इस संवेदनशील विभाग में काम करते हुए उसका यह पूर्वाग्रह किस तरह कहां-कहां देश को नुकसान करते रहा होगा। लोगों ने सोशल मीडिया पर तुरंत याद किया है कि ये वही नागेश्वर राव हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के बाद भी बिहार के मुजफ्फरनगर बालिका गृह में बच्चियों से लगातार चलते रहे बलात्कार के जांच अफसरों को बदल दिया था, और इस जुर्म में अदालत ने इन्हें दिन भर कोर्ट के एक कोने में बिठा रखा था। एक मौत ने ऐसे एक धर्मान्ध पाखंडी को उजागर भी कर दिया। और अग्निवेश ऐसा भांडाफोड़ करते ही रहते थे। 

वे एक खालिस छत्तीसगढ़ी थे, और दुनिया भर में घूमने के बावजूद मौका मिलते ही वे धाराप्रवाह छत्तीसगढ़ी पर उतर आते थे। उन्होंने आर्य समाज के सिद्धांतों पर एक पार्टी भी बनाई, हरियाणा में चुनाव लड़ा, विधायक और मंत्री बने, लेकिन उनका बुनियादी काम बंधुआ मजदूर मुक्ति मोर्चा बनाने से शुरू हुआ। वे नक्सलियों की सरकार के साथ बातचीत में मध्यस्थ भी रहे क्योंकि एक मानवाधिकारवादी आंदोलनकारी के रूप में उनकी साख अच्छी तरह जमी हुई थी। छत्तीसगढ़ के बस्तर में जब नक्सलियों ने एक अफसर का अपहरण कर लिया था, तो उसे छुड़ाने में भी उन्होंने दखल दी थी। इन्हीं वजहों से बस्तर में एक वक्त तानाशाही का राज करने वाले कुख्यात और मुजरिम पुलिस अफसरों की शह पर बस्तर में उन पर हमला भी किया गया, उन पर कालिख पोती गई, और उन्हें मारा गया। आक्रामक हिन्दुत्ववादी इस उदार हिन्दू चेहरे से इतना खफा रहते थे कि वे जगह-जगह उन पर हमले करते थे। 

बंधुआ मजदूरी के खात्मे और गुलाम प्रथा खत्म करने के मुद्दों पर अग्निवेशजी एक अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी की और वे संयुक्त राष्ट्र के अलग-अलग कई मंचों से लगातार मजदूरों के अधिकार, महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ते रहते थे। एक नजर में देखें तो वे छत्तीसगढ़ से निकलकर बाहर जाकर देश और दुनिया में सामाजिक आंदोलनों में ही पूरी जिंदगी खफा देने वाले सबसे बड़े व्यक्ति रहे। वे आक्रामक हिन्दुत्व के खिलाफ जाकर दूसरे धर्मों और हिन्दुओं के बीच सद्भावना के लिए काम करते रहे, वे मुस्लिमों के खिलाफ हिंसक भेदभाव के खिलाफ भी काम करते रहे, आदिवासी अधिकारों, किसान अधिकारों, कमजोर तबकों की लड़ाई लड़ते रहे। सत्तारूढ़ पार्टियां आमतौर पर उनके खिलाफ रहीं, सरकारें उनके खिलाफ रहीं, हिन्दू संगठन उनके खिलाफ रहे। 

अपने लंबे जीवन में स्वामी अग्निवेश ने जितने सामाजिक मुद्दों की लड़ाई लड़ी, और पूरे का पूरा जीवन संघर्ष में गुजारा, वह एक अनोखी बात रही। बहुत कम लोग ऐसा संघर्ष कर पाते हैं। अग्निवेश उन तमाम लोगों के लिए एक मिसाल बने रहेंगे जो हिन्दुस्तान को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं, जो हिन्दुस्तानियों को एक बेहतर समाज बनाना चाहते हैं। वे उनके लिए भी एक मिसाल रहेंगे जो हिन्दू हैं, कि कैसे एक बेहतर हिन्दू बना जा सकता है, कैसे हिन्दू धर्म का सम्मान बढ़ाया जा सकता है। वे सामाजिक आंदोलनकारियों के लिए भी एक मिसाल रहेंगे कि किस दमखम से अपने सिद्धांतों के लिए सडक़ों पर भी मार खाने के लिए तैयार रहना पड़ता है। 

छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ दशक में ऐसा माहौल रहा कि जो व्यक्ति आदिवासियों के हक की बात करे, उसे नक्सल-समर्थक करार दे दिया जाए। ऐसी ही सोच ने स्वामी अग्निवेश पर हमले करवाए, और राज्य की भाजपा सरकार इसकी गवाह बनी रही, सत्तारूढ़ भाजपा उस दौरान अग्निवेश का कई मुद्दों पर विरोध करती रही। लेकिन देश और दुनिया के सबसे कमजोर तबकों की लड़ाई लडऩे में छत्तीसगढ़ का यह बहादुर बेटा एक अलग मिसाल बने रहा, जिसने हिन्दू धर्म का सम्मान भी बढ़ाया।  (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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