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मोदी सरकार करेगी ईमानदार करदाताओं का सम्मान, पर जिसकी कमाई ही कम उसका क्या ? - नज़रिया
14-Aug-2020 10:55 AM
मोदी सरकार करेगी ईमानदार करदाताओं का सम्मान, पर जिसकी कमाई ही कम उसका क्या ? - नज़रिया

-आलोक जोशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए टैक्सेशन सिस्टम की शुरुआत कर दी है. खबर तो पहले से आम थी लेकिन अब औपचारिक एलान हो गया है. नए सिस्टम के दो हिस्से हैं, ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन यानी पारदर्शी कर व्यवस्था और ऑनरिंग द ऑनेस्ट या ईमानदार का सम्मान. दोनों में ही नया क्या है यह अभी पता चलना बाकी है.

ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन की खास बातें पहले ही बताई जा चुकी थीं. सूत्रों से भी और सरकारी एलान के जरिए भी. इसमें सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि इनकम टैक्स अफसर या अफसरों का डर खत्म होगा, उनकी मनमानी खत्म होगी और मुट्ठी गर्म करके अपनी फाइल क्लियर करवा लेने की व्यवस्था भी खत्म होगी.

यहां असेसमेंट भी फेसलेस होगा, अपील भी फेसलेस होगी और टैक्सपेयर चार्टर या करदाता का विधान भी जारी किया गया है जिसमें टैक्स भरने वाले के कर्तव्य और अधिकार दोनों शामिल हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आम आदमी की ईमानदारी पर विश्वास करके ही यह व्यवस्था चल सकती है. जबकि पहले ये व्यवस्था शुरुआत में ही ईमानदार करदाता को कटघरे में खड़ा करके चलती थी. चार्टर बनाकर नियम साफ करने की वजह भी यही बताई गई कि पॉलिसी साफ होती है तो ग्रे एरिया यानी भ्रम की गुंजाइश खत्म हो जाती है और फिर बात अफसरों के विवेक पर नहीं टिकी रहती.

इस बात को दूसरी तरफ से देखें तो आम आदमी को टैक्स अफसरों के हाथों परेशान न होना पड़े यह इंतज़ाम किया गया है. और यह सबसे पहले बता दिया गया कि इनकम टैक्स गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पत्र लिखकर इस काम में सहयोग का भरोसा दिलाया है.

टैक्सपेयर में भरोसा जताने का फायदा कैसे होता है इसका उदाहरण भी प्रधानमंत्री ने बताया कि विवाद से विश्वास योजना में तीन करोड़ मामलों को सुलझाया जा चुका है. वरना ये मुकदमे बरसों चलते रहते.

फेसलेस सिस्टम के साथ ही अब यह भी ज़रूरी नहीं रहेगा कि आपकी इनकम टैक्स फाइल आपके ही शहर के इनकम टैक्स अफसर के पास जाए. खासकर स्क्रूटिनी का मामला रैंडम तरीके से देश के किसी भी टैक्स अधिकारी को आवंटित किया जाएगा. वो फेसलेस टीम के पास जा सकता है. उनके आदेश का रिव्यू भी किसी और शहर की किसी और टीम के पास जा सकता है.

फेसलेस टीम कौन होगी, उसमें कौन होगा, यह भी कंप्यूटर रैंडम तरीके से तय करेगा. करदाता और इनकम टैक्स अफसर को, दबाव बनाने का, जान पहचान का मौका कम हो गया. टैक्स की मुकदमेबाज़ी भी कम हो जाएगी. ऐसा ही तरीका अपील के लिए भी इस्तेमाल होगा. हालांकि अपील का सिस्टम शुरू होने में कुछ वक्त है. वो दीनदयाल जयंती यानी 25 सितंबर से लागू किया जाएगा.

ईमानदार का सम्मान

एलान का दूसरा बड़ा हिस्सा है ऑनरिंग द ऑनेस्ट, यानी ईमानदार का सम्मान. इसपर चर्चा बहुत समय से चल रही है कि टैक्स भरनेवालों को रेलवे रिजर्वेशन में कोटा मिल सकता है, एयरपोर्ट पर लाउंज इस्तेमाल करने की सुविधा मिल सकती है और यह भी हो सकता है कि चोटी के ईमानदार करदाताओं को प्रधानमंत्री के साथ चाय पर चर्चा का न्योता भी मिल जाए.

लेकिन यहां नया क्या होने जा रहा है? इनकम टैक्स देनेवालों को पासपोर्ट बनवाने में, इमिग्रेशन क्लियरेंस में और यहां तक कि सज़ा होने पर जेल में भी एक अलग दर्जा मिलता रहा है. पिछले साल लागू व्यवस्था में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से अनेक लोगों को सर्टिफिकेट भेजे गए हैं. गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉंज कैटेगरी के सर्टिफिकेट.

अब यह पता लगाने का क्या तरीका है कि कौन ज्यादा ईमानदार है और कौन कम? तो जिसने जितना टैक्स भरा उसे उतना ईमानदार मान लिया गया. यानी गोल्ड या उससे ऊपर की कैटेगरी में तो वही लोग आएंगे जिन्हें यूं भी प्रधानमंत्री के साथ चाय पीने का मौका मिलता ही रहता है और जिनके लिए एयरपोर्ट लाउंज के दरवाज़े खुले ही रहते हैं. फिर कम कमाई वाला इंसान खुद को ज्यादा ईमानदार कैसे साबित करे?

इस सवाल का जवाब तो आएगा. लेकिन प्रधानमंत्री ने एक और सवाल भी खड़ा किया है जिसका जवाब उन्हें देश से यानी हम सब से चाहिए. उन्होंने बहुत दिनों के बाद एक बार फिर मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा याद किया और कहा कि एक वक्त था कि मजबूरी और दबाव में लिए गए फैसलों को रिफॉर्म कहा जाता था. अब ये सोच और अप्रोच दोनों बदल गई है. जो बदलाव किए गए हैं ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है.

साथ ही उन्होंने याद दिलाया कि टैक्सपेयर को टैक्स इसलिए देना है क्योंकि उसी से सिस्टम चलता है. इस पैसे के बल पर ही देश एक बहुत बड़ी आबादी के प्रति दायित्व निभा सकता है. और सरकार का कर्तव्य है कि टैक्स की पाई पाई का सदुपयोग करे. ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका निभाता है, वो आगे बढ़ता है तो देश भी आगे बढ़ता है.

यहां उनकी तरफ से एक अपील भी आई, एक सवाल भी और शायद भविष्य के लिए एक संकेत भी. उन्होंने बताया कि पिछले छह सात साल में देश में इनकम टैक्स रिटर्न भरनेवालों की संख्या में ढाई करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है. लेकिन अब भी एक सौ तीस करोड़ के देश में डेढ़ करोड़ लोग ही इनकम टैक्स जमा करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि इसपर हम सबको चिंतन करने की जरूरत है. देश को आत्मचिंतन करना होगा. जो टैक्स देने में सक्षम है, लेकिन टैक्स नेट में नहीं हैं, उन्हें स्वप्रेरणा से आगे आकर टैक्स भरने की ओर बढ़ना होगा.

कितने लोग इससे प्रेरणा लेंगे, पता नहीं. लेकिन जैसे एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने की अपील के बाद टैक्स भरनेवालों के लिए वो सब्सिडी खत्म करने का एलान हुआ उसे याद ज़रूर करना चाहिए. अब जबकि इनकम टैक्स रिटर्न में ब्योरा पहले से भरकर आ रहा है. फॉर्म 26एएस में तमाम ऐसी चीज़ें जोड़ दी गई हैं जो अभी नहीं थीं. और ज्यादातर बड़े लेनदेन छुपाना मुश्किल होता जा रहा है, वहां इन अपीलों को भी नजरंदाज करनेवाले लोग कब तक खैर मनाते रहेंगे कहना बहुत मुश्किल भी नहीं है.(bbc)

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