विचार / लेख

डब्ल्यूएचओ का रुख बेहद निराशाजनक !
13-Aug-2020 8:30 PM
डब्ल्यूएचओ का रुख बेहद निराशाजनक !

जे.के. कर

सोमवार 3 अगस्त को विश्वस्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहनॉम गिब्रयेसॉस ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुये कहा कि......‘However, there's no silver bullet at the moment and there might never be.’ बात कोरोना वाइरस के संबंध में कही गई है। बीबीसी हिन्दी ने इस खबर को इस रूप में पेश किया है....‘फिलहाल इस वायरस के लिए कोई सटीक और पक्के तौर पर इलाज उपलब्ध नहीं है और हो सकता है कि कभी ना हो।’

हमें तीव्र आपत्ति है कि WHO की ओर से यह मान लिया जाए कि कोरोना वाइरस का इलाज कभी हो ही नहीं सकता। कारण, मानव समाज मूल रूप से अज्ञेयवादी नहीं अज्ञातवाद में विश्वास करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कोई चीज आज अज्ञात अवश्य हो सकती है लेकिन कभी न कभी उसे ज्ञात जरूर किया जा सकता है. जबकि जबकि अज्ञेयवाद का अर्थ होता है कभी ज्ञात न हो सकने वाला।

यदि मानव समाज निराशावादी होता तो न ही आग जला सकता था, न ही चक्के की खोज कर सकता था और न ही भाप के इंजन की खोज होती।

एक समय तो संक्रमण का भी कोई इलाज ही नहीं था। लेकिन एँटीबायोटिक की खोज ने मानव समाज को कई बीमारियों से राहत प्रदान की. हम आज भी अपने बुजुर्गो से सुन सकते हैं कि किस तरह से एक समय लोग टीबी रोग होने से लोग मर जाया करते थे। लेकिन आज यह सब पुरानी बातें हैं। हमारे पास कई एँटीबायोटिक तथा वैक्सीन उपलब्ध हैं जिससे मानव समाज को संक्रमण से बचाया जा रहा है।

हां यह सच है कि आज भी इबोला, एचआईव्ही, एवियन इन्फ्लूएंजा, सार्स तथा मर्स का कोई सटीक इलाज़ या वैक्सीन मानव समाज नहीं बना पाया है लेकिन वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों ने तो हार नहीं मानी है। लगातार खोज हो रहे हैं। कोरोना वाइरस की भी कोई वैक्सीन अभी तक नहीं बन पाई है तथा जानकारों का मानना है कि इस वाइरस के खिलाफ़ शरीर में एँटीबाडी ज्यादा समय तक रह पायेगी कि नहीं इसमें भी शक है। शायद, यही कारण है कि WHO की ओर से कहा गया है कि  'silver bullet' शायद कभी बन ही न पाए।

बहस के लिए माना जा सकता है कि यदि वैक्सीन ज्यादा दिन तक काम नहीं करेगा तो जब तक लंबे समय तक काम करने वाले वैक्सीन का ईज़ाद न हो जाये तब तक, अब जो भी वैक्सीन बन रहा है उसे बार-बार लगाकर काम चलाया जाए। हमें एक वाइरस से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि उसके खिलाफ जंग लडऩी चाहिए।

ऐसे समय में WHO का काम लोगों में हिम्मत बढ़ाना है न कि एक निराशाजनक बयान जारी करना है।

जहां तक बात ‘silver bullet? की बात है तो  WHO को खोज करनी चाहिये कि जिस चीन से इस जानलेवा कोरोना वाइरस की शुरूआत मानी जा रही है उसके पास कौन सा 'silver bullet' है जो उसने कोरोना वाइरस के प्रसार को रोककर रखा हुआ है। आकड़ों के अनुसार चीन में अब तक इस वाइरस से मात्र 84,428 लोग संक्रमित हुए हैं, मात्र 4,634 मौतें हुई हैं तथा आज की तारीख में एक्टिव केसों की संख्या भी आश्चर्यजनक रूप से केवल 781 ही हैं (स्रोत: 2worldometers.info)

कम से कम चीन से लेकर उस ‘silver bullet’ को अन्य देशों को दिया जाना चाहिए, यह काम जाहिरा तौर पर WHO का ही है।

आपका क्या ख्याल है जनाब़? क्या हम हार मान लें?

 

 

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