सामान्य ज्ञान
1912 मेंं हुए स्टॉकहोम ओलंपिक में मुक़ाबलों की संख्या घटकर 14 रह गई लेकिन एक नई प्रतियोगिता आयोजित हुई पेंटेथलॉन। पेंटेथलॉन में शामिल थे- घुड़सवारी, फ़ेन्सिंग, तैराकी, निशानेबाज़ी और क्रॉस कंट्री रनिंग। इस ओलंपिक में दबदबा क़ायम किया अमरीकी खिलाड़ी जिम थोर्प ने। थोर्प ने पेंटेथलॉन और डेकेथलॉन ने आसानी से जीत हासिल की।
स्वीडन के राजा गुस्ताव पंचम ने जिम थोर्प को दुनिया का महानतम एथलीट कहा. लेकिन थोर्प की प्रतिष्ठा पर उस समय प्रश्नचिन्ह लग गया जब पता चला कि उन्होंने बेसबॉल खेलने के लिए पैसे लिए थे। दरअसल उस समय ओलंपिक में उन्हीं खिलाडिय़ों को जगह मिलती थी जो ग़ैर पेशेवर थे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने थोर्प का पदक इस आधार पर वापस ले लिया कि उन्होंने ओलंपिक के नियमों का उलंलघन किया है। थोर्प दुनिया के पहले ऐसे खिलाड़ी बनें, जिन्हें पेशेवर खिलाड़ी होने के कारण अपने पदक से हाथ धोना पड़, लेकिन 1982 में थोर्प की मौत के 29 साल बाद आईओसी ने उन्हें आधिकारिक रूप से क्षमा कर दिया। यह उस महान एथलीट को सच्ची श्रद्धांजलि थी जिसे महानतम एथलीटों में से एक चुना गया था। फिऩलैंड के हैनेस कोलेहमैनेन ने सफलता की एक और कहानी गढ़ी। उन्होंने 5 हजार, 10 हजार और 12 हजार मीटर क्रॉस कंट्री में तीन स्वर्ण पदक जीते।
यह लंबी दूर की दौड़ प्रतियोगिता में फिऩलैंड के वर्चस्व की शुरुआत थी, जो लगभग 30 सालों तक चली। स्टॉकहोम ओलंपिक इसलिए भी यादगार रहा कि इसमें पहली बार समय का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल हुआ। स्टॉकहोम ओलंपिक में ही पहली बार महिलाओं ने तैराकी मुक़ाबले में हिस्सा लिया.। 4 & 100 मीटर रिले में ब्रिटेन ने स्वर्ण पदक जीता।