सामान्य ज्ञान
जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो उसे प्लैसेंटा (गर्भनाल) के ज़रिए पोषक तत्व मिलते रहते हैं। प्लैसेंटा गर्भाशय की दीवार से चिपका हुआ एक अस्थाई अंग होता है और नाल के ज़रिए भ्रूण से जुड़ा रहता है। बच्चे के जन्म के कुछ देर बाद प्लैसेंटा भी बाहर आ जाता है। तब इसे बच्चे से जोडऩे वाली नाल को काट दिया जाता है क्योंकि बाहर आ जाने के बाद बच्चा स्वयं सांस ले सकता है और उसे प्लैसेंटा की ज़रूरत नहीं रह जाती। नाल को बांधने की ज़रूरत सिफऱ् इसलिए पड़ती है जिससे रक्तस्राव न हो। कुछ सप्ताह में यह नाल सूख कर गिर जाती है।
गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। अब तो बच्चे की नाल को सहेजकर रखा जाने लगा है क्योंकि इससे बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी भी मेडिकल केस हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है और बेहतर तरीके से सटीक इलाज मिल पाता है।
डाक्टरों ने लंबी खोज के बाद गर्भनाल यानी प्लेसेंटा से कैंसर और लीवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने में सफलता पा ली है। इस खोज ने उनके लिए भी नई उम्मीद जगाई है जो ऐसी गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं और जिनका उपचार अब भी चिकित्सा जगत के लिए चुनौती है। ऐसे लोग न केवल खुद रोग मुक्त हो सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को भी इससे बचा सकते हैं। भारत में ऐसे बैंकों की शुरुआत हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन दूरगामी फायदों को देखते हुए इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। देश के बड़े शहरों में प्लेसेंटा बैंकों में हर माह सैकड़ों दंपत्ति पहुंच कर अपने बच्चे की गर्भनाल की कोशिकाओं को संरक्षित करवा रहे है, लेकिन फिलहाल इसके लिए अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है.
गर्भनाल को काटे जाने के बाद उससे खून निकाला जाता है। इस खून को प्लेसेंटा बैंक भेजा जाता है। बैंक में माइनस 196 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर इसे तरल नाइट्रोजन की सहायता से सुरक्षित रख जाता है। खून को लगभग 600 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। गर्भनाल के खून से निकाली गईं इन कोशिकाओं को शरीर की मुख्य कोशिका या मास्टर सेल कहा जाता है। इन कोशिकाओं में मानव शरीर की 200 से अधिक कोशिकाओं को विकसित करने की क्षमता होती है। स्टेम कोशिकाओं की सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इनमें जीवन भर विभाजन की क्षमता होती है। इससे यह नष्ट हो चुकी या क्षतिग्रस्त हो चुकी कोशिकाओं की जगह भी ले सकती हैं और वहां नई कोशिकाएं तैयार कर सकती हैं।