सामान्य ज्ञान
पुष्पकमल दाहाल (जन्म-11 दिसम्बर 1954), जिन्हें नेपाली राजनीति में प्रचंड नाम से संबोधित किया जाता है, नेपाल के प्रधानमंत्री हैं। 3 अगस्त 2016 को वे दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए।
वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) तथा इसी पार्टी के सशस्त्र अंग जनमुक्ति सेना के भी शीर्ष नेता हैं। सीपीएन माओवादी पार्टी के प्रेसिडेंट प्रचंड पीएम पद के लिए अकेले कैंडिडेट थे । उनके विरोध में कोई नहीं था। लोकसभा अध्यक्ष ओनसारी घरती मागर के अनुसार 595 सदस्यीय संसद में कुल 573 मत पड़े। जिनमें प्रचंड के पक्ष में 363 और विरोध में 210 मत थे। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देवबा ने सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रमुख प्रचंड की उम्मीदवारी का प्रस्ताव दिया।
नेपाल की संसद की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस और तराई के क्षेत्रीय राजनीतिक गुट मधेसी मोर्चा के समर्थन से प्रचंड की जीत सुनिश्चित हुई। प्रचंड इसके पहले वर्ष 2008 में नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और नेपाल कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद पीएम केपी शर्मा ओली ने 24 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। इसके बावजूद संसद में संविधान के मुताबिक वोटिंग हुई। नेपाल की सीपीएन माओवादी पार्टी के प्रेसिडेंट प्रचंड ने पीएम पद के लिए 2 अगस्त 2016 को नॉमिनेशन दाखिल किया था।
प्रचंड की सीपीएन-माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने मधेसी पार्टियों के साथ तीन सूत्रीय समझौते पर साइन किया था। इसके चलते आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों ने भी प्रचंड के नाम का सपोर्ट किया। कुछ दिन पहले कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और नेपाल कांग्रेस ने सीपीएन-यूएमएल की सरकार से सपोर्ट वापस लेने का ऐलान किया। राष्ट्रपति की ओर से सरकार के गठन के लिए दी गई समयसीमा खत्म हो गई थी।
उन्हें नेपाल की राजनीति में 13 फऱवरी 1996 से नेपाली जनयुद्ध शुरु करने के लिए जाना जाता है जिसमें लगभग 13 हजार नेपाली नागरिकों की हत्या होने का अनुमान लगाया जाता है। प्रचंड द्वारा माक्र्सवाद, लेनिनवाद एवं माओवाद के मिले जुले स्वरूप को नेपाल की परिस्थितियों मे व्याख्यित करने को नेपाल में प्रचंडवाद के नाम से पुकारा जाने लगा है।
प्रचंड का ज्यादातर बचपन नेपाल के चितवन जिले में गुजरा। कहा जाता है कि प्रचंड के माता-पिता के उदार ब्राह्मण कुल से संबंध रखते थे एवं साधारण परिवार की तरह थे। श्री प्रचंड में चितवन में स्थित रामपुर के के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड एनीमल साइंस से कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की, एवं कुछ समय तक ग्रामीण विकास के कुछ प्रोजेक्ट इत्यादि से जुड़े रहे। वर्ष 1986 में श्री प्रचंड नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के मशाल ग्रुप के महासचिव बने । यही पार्टी बाद में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नाम से मशहूर हुई। 1990 में नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के बाद भी श्री प्रचंड भूमिगत रहे। इस समय तक उन्हें नेपाली राजनीति में ज्यादा पहचान हासिल नहीं हुई थी और पार्टी द्वारा होने वाले कार्यों का श्रेय पार्टी के एक अन्य नेता डॉक्टर बाबुराम भट्टराई को मिलता रहा। परंतु श्री प्रचंड वैश्विक रूप से तब सुर्खियों में आए जब 1996 में वे पार्टी के सशस्त्र विंग के सर्वेसर्वा बने।