सामान्य ज्ञान
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की है। इस्तीफे के पीछे उन्होंने उम्र को कारण बताया है। उन्होंने 2014 में गुजरात राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर तब कुर्सी संभाली थी, जब नरेन्द्र मोदी यह पद छोडक़र प्रधानमंत्री बने थे। कहते हैं कि न तो उनके विधायक उनको पसंद करते थे और न ही अफसर। उनका सख्त स्वभाव और मुंह पर दो टूक बात कह देना इस नापसंदगी के पीछे एक बड़ी वजह थी। लेकिन, पीएम मोदी की विश्वसनीय होने के कारण कोई खुलकर उनका विरोध नहीं कर सकता था।
उनके कार्यकाल के पांच बड़े विवाद-
1. पाटीदार आंदोलन- उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा विवाद पाटीदार आंदोलन से जुड़ा है। पिछले साल जिस तरह इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया, उसके चलते राज्य के मुखिया के तौर पर आनंदीबेन की काफी किरकिरी हुई थी। इसमें आंदोलन के अगुआ 22 साल के हार्दिक पटेल सहित कई गिरफ्तारियां हुईं, कई केस ठोके गए, लेकिन अब गुजरात सरकार उनमें से 90 प्रतिशत केस वापस लेने की तैयारी में है।
2. दलित आंदोलन- पाटीदार आंदोलन के ठीक एक साल बाद दलितों की पिटाई के विरोध में शुरु हुए दलित आंदोलन ने भी आनंदीबेन के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। यह आंदोलन भी हिंसक रूप ले चुका है। उनके नेतृत्व पर फिर सवाल उठने लगे हैं कि इस तरह के आंदोलनों को ठीक से हैंडल नहीं किया जा रहा है।
3. बेटी पर लगे आरोप- वर्ष 2016 फरवरी में कांग्रेस ने आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल पर सस्ते दामों में सरकारी जमीन पर हड़पने का आरोप लगाया। कांग्रेस का आरोप था कि 2010 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस दौरान एक निजी कंपनी को सवा सौ करोड़ रुपए की जमीन मात्र डेढ़ करोड़ में ही बेच दी गई थी। आनंदी बेन उस वक्त राजस्व मंत्री थीं। यह जमीन अनार पटेल के बिजनस पार्टनर दक्षेश शाह को दी गई थी। आम आदमी पार्टी ने उनका इस्तीफा मांग लिया था। हालांकि, अनार पटेल ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि उनका इस कंपनी से कोई रिश्ता नहीं है। उस कंपनी की तरफ से भी ऐसा ही बयान जारी किया गया था कि अनार पटेल किसी भी तरह से उस कंपनी से नहीं जुड़ी हैं।
4. अमित शाह के साथ तनातनी- इसके बाद अप्रैल में आनंदीबेन और अमित शाह के बीच की तनातनी ने खासी सुर्खियां बटोरीं। गुजरात में डीजीपी के पद की तैनाती को लेकर शाह और आनंदीबेन आमने-सामने आ गए थे। आनंदीबेन पहली महिला डीजीपी के तौर पर गीता जौहरी की नियुक्ति चाहती थीं, लेकिन उनकी जगह इशरत जहां के कथित फेक एनकाउंटर में जमानत पर बाहर चल रहे पीपी पांडेय को गुजरात का डीजीपी बना दिया। सूत्रों के मुताबिक पांडेय, अमित शाह के करीबी हैं।
5. सोमनाथ से जुुड़ा विवाद- हाल ही में जब सोमनाथ मंदिर के ट्रस्ट ने मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने और अन्य पंथों के लोगों को प्रवेश करने से पहले ट्रस्ट की अनुमति लेने का फैसला लिया, तब विपक्षी पार्टियों ने आनंदीबेन को फिर निशाने पर लिया। यह तक कहा गया कि पीएम मोदी के आदेश पर ऐसा किया जा रहा है।