सामान्य ज्ञान
अमलेंदु तिवारी,बलराम कावंत, ओम नागर और तसनीम खान को वर्ष 2015 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। अमलेंदु तिवारी और बलराम कावंत उनके उपन्यास ‘परित्यक्त’ और ‘सारा मोरिला’ के लिए सम्मानित किए गए हैं जबकि ओम नागर और तसनीम खान को क्रमश: ‘नीब के चिरे से’ और ‘ये मेरे रहनुमा’ के लिए सम्मानित किया गया।
अमलेंदु तिवारी और ओम नागर को 50-50 हजार रुपए, एक प्रमाणपत्र और वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की गई। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले चारों लेखकों की कृतियों का प्रकाशन भी करेगा।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है। यह पुरस्कार ‘भारतीय ज्ञानपीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लेखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है।
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था, लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा।