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सलीम की सौतेली मां थी अनारकली !
29-Jul-2020 9:59 PM
सलीम की सौतेली मां थी अनारकली !

ध्रुव गुप्त

अनारकली का नाम मुगलिया सल्तनत की सबसे रोमांचक प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। सम्राट अकबर के बेटे सलीम की प्रेमिका के तौर पर प्रसिद्ध अनारकली को ज्यादातर लोग एक काल्पनिक पात्र मानते हैं। प्रचलित कथाओं में अनारकली अकबर के दरबार की एक खूबसूरत नर्तकी थी जिसे शहजादा सलीम दिल दे बैठा था और जो शाही अहंकार और गद्दी की सियासत की भेंट चढक़र दीवारों में चिनवा दी गई। वस्तुत: इस प्रेम कहानी की हकीकत कुछ और है। यह एक वर्जित और नाजायज रिश्ता था जिसे हमारे कुछ अदीबों और फिल्मकारों ने लैला-मजनू और शीरी-फरहाद की तजऱ् पर ट्रैजिक प्रेमकथा में तब्दील करने की नीयत से न सिर्फ इतिहास बल्कि नैतिक और पारिवारिक मूल्यों के साथ भी खिलवाड़ किया।

अनारकली के जिक्र इतिहास में कम, विदेशी पर्यटकों की यात्रा विवरणों में ज्यादा आए है। एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में उसकी चर्चा ब्रिटिश लेखक सैमुअल परचास द्वारा संपादित 1625 की एक किताब ‘परचास हिज पिलग्रिम्स’ में हुई है। इस किताब में 1611 में लाहौर की यात्रा करने वाले अंग्रेज व्यापारी विलियम फिंच ने बाबा शेख फरीद की मस्जिद के पास अकबर की एक प्रिय बीवी अनारकली की कब्र देखने की बात कही है। उसने अनारकली को अकबर के एक बेटे दानियाल की मां बताया है जिसका शहजादे सलीम के साथ नाजायज़ रिश्ता था। तब अनारकली चवालीस साल की थी और सलीम तीस साल का। इस रिश्ते से नाराज अकबर ने अनारकली को महल की एक दीवार में चिनवा दिया था। सलीम ने बादशाह बनने के बाद अनारकली की याद में एक आलीशान मकबरा तामीर करने का आदेश दिया था जो फिंच की यात्रा के समय अभी निर्माणाधीन था। फिंच के पांच साल बाद ब्रिटेन के एक पादरी एडवर्ड टैरी ने अपनी यात्रा रिपोर्ताज में लिखा है कि अकबर ने अपनी सबसे प्रिय पत्नी नादिरा बेगम उर्फ अनारकली के साथ नाजायज रिश्ते के कारण शहजादे सलीम को उत्तराधिकार से वंचित कर दिया था। वह अनारकली के बेटे दानियाल को उत्तराधिकार सौंपना चाहता था, लेकिन दानियाल की मौत के कारण मृत्युशैया पर उसने अपना आदेश वापस ले लिया था। ‘द लास्ट स्प्रिंग : द लाइव्स एंड टाइम्स ऑफ द ग्रेट मुगलस’ के लेखक अब्राहम एराली ने भी अनारकली को अकबर की बीवी और उसके बेटे दानियाल की मां बताया है। इतिहासकार अब्दुल लतीफ ने ‘तारीख-ए-लाहौर’ में लिखा है कि सलीम से इश्क के चलते अकबर की एक बीवी अनारकली को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इतिहासकार हेरंब चतुर्वेदी ने भी इस रिश्ते को नाजायज बताया है। कुछ लोग अनारकली को सिर्फ इसीलिए खारिज करते हैं कि अबुल फजल की किताब ‘आईने अकबरी’ में उसका जिक्र नहीं है। उन्हें समझना चाहिए कि अकबर के एक दरबारी इतिहासकार की किताब में ऐसे वर्जित संबंधों का जि़क्र हो भी कैसे सकता था ?

अनारकली अकबर के दरबार की रक्कासा नहीं, अकबर की एक प्रिय पत्नी और सलीम की सौतेली मां थी। उसकी वास्तविकता का सबसे बड़ा सबूत लाहौर में मौज़ूद अनारकली का मक़बरा और कब्र है। जहांगीर द्वारा अपने शासनकाल में बनवाए इस मकबरे को लोग दूसरा ताजमहल कहते हैं। इसी मकबरे के भीतर अनारकली की कब्र है जो उन्हीं दो दीवारों के बीच बनी बताई जाती है जिनमें अनारकली को चिनवा दिया गया था। कब्र पर जहांगीर ने दो मिसरे खुदवाए हैं जिनका अनुवाद देखिए-अगर मैं अपनी प्रिया का चेहरा एक बार फिर अपनी दोनों हथेलियों में थाम सकूं तो मैं कय़ामत के दिन तक ख़ुदा का शुक्रगुजार रहूंगा !

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