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रायपुर, 15 जुलाई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि हांगकांग से भारत में हो रहे आयात में अप्रत्याशित बढ़त पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए और भारतीय बाजार में चीनी सामान के बढ़त को बनाये रखने के लिए चीन का एक सामरिक प्रयास के रूप में देखते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से जांच करवाने का आग्रह किया है।
कैट राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि जिन देशों को ट्रांसशिपमेंट हब बनाकर चीन अपना सामान भारत भेज सकता है, उनके साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते, संधियां और व्यापार से संबंधित अन्य समझौते को भी नए सिरे से देखा जाना चाहिए और यदि उनमें कोई छिद्र हैं तो उनको तुरंत बंद करना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा मापने वाले टेप के जो चीन से अन्य देशों के मार्फत बहुतायत में आ रहे हैं पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की कवायद शुरू करने की सराहना की।
श्री पारवानी ने बताया कि भारत चीन के साथ अपने व्यापार के अंतर को कम करने में सफल हुआ है लेकिन पिछले तीन वर्षों में हांगकांग के साथ व्यापारिक संबंध में व्यापार संतुलन अधिशेष से घाटे में बदल गया है। पिछले वित्त वर्ष में हांगकांग से भारत का आयात 17 बिलियन डॉलर था जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उपकरण और कंप्यूटर हार्डवेयर कुल मिलाकर लगभग 8 बिलियन डॉलर थे जबकि 2017-18 में यह 10.67 बिलियन डॉलर था । हांगकांग के साथ तेजी से बढ़ते आयात से इस सम्भावना को बल मिलता है की चीन के अपने निर्यात मार्गों को बदलने की तैयारी में है जबकि भारत चीन पर अपनी आयात निर्भरता को कम करना चाहता है।
श्री पारवानी ने बताया कि हांगकांग से आयात के आंकड़ों का एक करीबी विश्लेषण स्पष्ट रूप से बताता है कि जिन सभी प्रमुख वस्तुओं में चीन से आयात में गिरावट आई है लगभग उन्हीं सब वस्तुओं में हांगकांग के साथ हुए व्यापार में वृद्धि आई है। ये वस्तुएं मुख्य रूप से विद्युत मशीनरी और उपकरण, फल, खनिज और लोहा और अन्य सामान हैं। ऐसा लगता है कि चीन से भारत को कम निर्यात और इसी अवधि के दौरान हांगकांग से भारत में व्यापार वृद्धि चीन का एक सोचा समझा षड्यंत्र है। विद्युत उत्पाद, परमाणु रिएक्टर, खनिज ईंधन और लोहा और स्टील जैसे अन्य उत्पाद मुख्य रूप से चीन में उत्पादित होते हैं और हांगकांग में नहीं। इसलिए ऐसा लगता है कि भारत में प्रवेश करने वाली वस्तुओं का आयात मार्ग बदल रहा है जिस पर ध्यान देने की तत्काल जरूरत है।