कुशीनगर बुद्ध के महापरिनिर्वाण का स्थान है। यह उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध जि़ला तथा छोटा क़स्बा है। भगवान बुद्ध से सम्बंधित कई ऐतिहासिक स्थानों के लिए कुशीनगर संसार भर में प्रसिद्ध है। जि़ले का मुख्यालय कुशीनगर से लगभग 15 कि.मी. दूर पडरौना में स्थित है। कुशीनगर से पूरब की ओर बढऩे पर लगभग 20 कि.मी. के बाद बिहार राज्य आरम्भ हो जाता है।
कुशीनगर प्राचीन भारत के तत्कालीन महाजनपदों में से एक एवं मल्ल राज्य की राजधानी था। कनिंघम ने कुशीनगर को वर्तमान देवरिया जि़ले में स्थित कसिया से समीकृत किया है। अपने समीकरण की पुष्टि में उन्होंने परिनिर्वाण मंदिर के पीछे स्थित स्तूप में मिले ताम्रपत्र का उल्लेख किया है, जिस पर परिनिर्वाणचैत्य ताम्रपत्र इति उल्लिखित है। कनिंघम के इस समीकरण से विंसेंट स्मिथ और पार्जिटर प्रभृति विद्वान् सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार कसिया के अवशेषों एवं चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरणों में पर्याप्त भिन्नता है। इस भिन्नता को ध्यान में रखते हुए स्मिथ ने कुशीनगर को नेपाल में पहाडिय़ों की पहली शृंखला के पार स्थित होने के मत को उचित माना है।
किंवदंती के अनुसार यह माना जाता है कि कुशीनगर अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र रामचन्द्र के ज्येष्ठ पुत्र कुश द्वारा बसाया गया था। बौद्ध ग्रंथ महावंश में कुशीनगर का नाम इसी कारण कुशावती भी कहा गया है। बौद्ध काल में यही नाम कुशीनगर या पाली में कुसीनारा हो गया।
एक अन्य बौद्ध किंवदंती के अनुसार तक्षशिला के इक्ष्वाकु वंशी राजा तालेश्वर का पुत्र तक्षशिला से अपनी राजधानी हटाकर कुशीनगर ले आया था। उसकी वंश परम्परा में बारहवें राजा सुदिन्न के समय तक यहां राजधानी रही। इनके बीच में कुश और महादर्शन नामक दो प्रतापी राजा हुए, जिनका उल्लेख गौतम बुद्ध ने किया था।