सुपर केला, आनुवांशिक रूप से तैयार केला है। अफ्रीका में लाखों लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के मकसद को पूरा करने के लिए आनुवांशिक रूप से तैयार समृद्ध केले का जल्द ही पहला मानव परीक्षण किया जाने वाला है। वैज्ञानिक विटामिन ए स्तर के प्रभाव का परीक्षण करेंगे।
वर्ष 2020 तक युगांडा में इस योजना में विशेष केलों के किस्मों को उगाने के उपाय होंगे। यह केले अल्फा और बीटा कैरोटिन से भरपूर होंगे जिसे शरीर विटामिन में तब्दील करता है। बीटा कैरोटिन एक पिग्मेंट है, जो पौधों में पाया जाता है। बीटा कैरोटिन शरीर की विटामिन ए की 50 प्रतिशत आवश्यकता पूरी कर देता है। यह फल, सब्जियों और साबुत अनाज में पाया जाता है।
ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के इस प्रोजेक्ट को बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से सहायता प्राप्त है। पूर्वी अफ्रीका में केले का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए प्रमुख भोजन के तौर पर किया जाता है लेकिन इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्तर कम होता है, खासकर के विटामिन ए और आयरन। विटामिन ए की कमी का परिणाम भयानक हैं। हर साल साढ़े छह लाख से सात लाख बच्चे मर जाते हैं और कम से कम तीन लाख बच्चे अंधे हो जाते हैं। संशोधित केले बाहर से तो दिखने में वैसे ही हैं लेकिन अंदर का गूदा क्रीम रंग के मुकाबले ज्यादा नारंगी होता है। एक बार जब युगांडा में आनुवांशिक रूप से संशोधित केले को व्यावसायिक खेती की मंजूरी मिल जाती है तो यही तकनीक संभावित है कि फसलों में भी विस्तारित की जा सकती है। इस तकनीक का इस्तेमाल रवांडा, केन्या और तंजानिया में मुमकिन हो पाएगा।