-दिनेश आकुला की विशेष रिपोर्ट
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर अमरावती को राजधानी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। वे इस परियोजना के लिए 30,000 से 40,000 एकड़ अतिरिक्त भूमि अधिग्रहित करने की योजना बना रहे हैं। इस विस्तार का उद्देश्य अमरावती को एक वैश्विक पहचान वाला नगर बनाना है, जो अंतरराष्ट्रीय निवेश और प्रतिभा को आकर्षित कर सके।
2014 में राज्य विभाजन के बाद अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी घोषित किया गया था। बाद में वायएसआर कांग्रेस पार्टी (वायएसआरसीपी) सरकार ने इस परियोजना को रोक दिया और तीन अलग-अलग राजधानियों की योजना पेश की। लेकिन जून 2024 में सत्ता में लौटने के बाद नायडू ने अमरावती परियोजना को पुन: शुरू किया है। उनका उद्देश्य अमरावती को एम्स्टर्डम, सिंगापुर और टोक्यो जैसे अंतरराष्ट्रीय शहरों की तर्ज पर विकसित करना है।
इस परियोजना का बजट अब 65,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। केंद्र सरकार से 15,000 करोड़ रुपये, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से 800-800 मिलियन डॉलर तथा हुडक़ो से 11,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता हासिल की गई है। इसके अलावा जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक के साथ 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद के लिए भी बातचीत चल रही है।
राजनीतिक विश्लेषक राजेश के. का कहना है, ‘नायडू अमरावती को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और कुशल कामगारों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाना चाहते हैं। उनकी योजना मजबूत शहरी संरचना और आर्थिक महत्वाकांक्षा का संगम है।’
इस परियोजना की प्रमुख विशेषता नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा, जो विजयवाड़ा हवाई अड्डे पर बढ़ते ट्रैफिक को कम करेगा और अमरावती की कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। इसके अलावा बड़े पैमाने पर बाहरी रिंग रोड, एक्सप्रेसवे और अमरावती को हैदराबाद, विशाखापत्तनम तथा मछलीपट्टनम से जोडऩे वाली मुख्य सडक़ों का निर्माण भी किया जाएगा।
आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एपीसीआरडीए) ने निर्माण कार्य के पुन: शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया है। उनके आगमन से केंद्र सरकार के मजबूत समर्थन का संकेत मिलता है, जो परियोजना की गति बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
नगर प्रशासन एवं शहरी विकास मंत्री पी. नारायण ने बताया कि हाल ही में सरकार ने 59 टेंडरों को मंजूरी दी है, जिनकी लागत 37,702 करोड़ रुपये है। ये टेंडर सडक़ें, पुल, बाढ़ नियंत्रण प्रणाली, जल आपूर्ति नेटवर्क, बड़े पार्क और हरित क्षेत्र जैसी मूलभूत संरचनाओं के निर्माण के लिए हैं।
अमरावती मास्टर प्लान के अनुसार, राजधानी क्षेत्र का मुख्य क्षेत्र 217 वर्ग किलोमीटर का होगा, जिसमें 16.9 वर्ग किलोमीटर का प्रारंभिक विकास क्षेत्र होगा। इसमें सचिवालय, विधान सभा, उच्च न्यायालय और अधिकारियों के लिए आवास बनाए जाएंगे। इसके अलावा नौ विशेष थीम शहरों का निर्माण किया जाएगा, जो वित्त, पर्यटन, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य, खेल, मीडिया और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होंगे।
नायडू की योजना के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी महत्वपूर्ण है। एपीसीआरडीए सिंगापुर सरकार के साथ फिर से जुड़ा है, जिसने मूल मास्टर प्लान तैयार किया था। इसके अलावा नीदरलैंड की कंपनी अर्काडिस जैसे विशेषज्ञ भी जलाशयों, जल निकायों और हरित क्षेत्रों जैसे टिकाऊ सुविधाओं के निर्माण में शामिल हैं।
शिक्षा इस विकास का एक प्रमुख अंग है। वीआईटी, एसआरएम और अमृता विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान पहले ही लगभग 22,000 छात्रों को पढ़ा रहे हैं। जल्द ही बीआईटीएस पिलानी, एक्सएलआरआई, परड्यू विश्वविद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय और जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे विश्वविद्यालय भी यहां अपने परिसर स्थापित करेंगे।
परियोजना के पहले चरण में अधिकारियों के लिए 3,500 अपार्टमेंट, 200 बंगले तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 5,000 घर बनाए जाएंगे। प्रत्येक इलाके में स्वास्थ्य सेवाएं, स्कूल, जल आपूर्ति, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
राजेश के. ने कहा, ‘नायडू का अमरावती का सपना अब राजनीतिक कल्पना से निकलकर तेजी से वास्तविकता बन रहा है। यह शहर भारत में शहरी विकास के नए मानक स्थापित कर सकता है।’
सरकारी और संस्थागत भवन अगले दो-तीन वर्षों में तैयार होने की उम्मीद है। अमरावती एक आधुनिक, समावेशी और टिकाऊ राजधानी बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, जो नायडू की लंबे समय से चली आ रही महत्वाकांक्षा को पूरी तरह साकार करेगा।