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तीन साल बाद भी भूजल प्रबंधन एक्ट लागू नहीं, नियम ही नहीं बना
15-Apr-2025 5:21 PM
तीन साल बाद भी भूजल प्रबंधन  एक्ट लागू नहीं, नियम ही नहीं बना

 जल का दुरूपयोग रोकने सजा का भी प्रावधान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 अप्रैल।
प्रदेश में भूजल संसाधनों के प्रबंधन के लिए तीन साल पहले विधानसभा में विधेयक पारित हुआ था। मगर राजपत्र में प्रकाशन के बाद अब तक नियम नहीं बन पाए हैं। इसलिए छत्तीसगढ़ में अभी इसे लागू नहीं किया जा सका है। इसमें भूजल के दोहन, और निकासी, बिक्री आदि को लेकर कड़े प्रावधान हैं। 

राज्य शासन से जुड़े सूत्रों ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि नियम बनने की प्रक्रिया चल रही है। इसलिए अधिनियम प्रभावशील नहीं हो पाया है। जल्द ही नियम अधिसूचित कर दिए जाएंगे। 

बताया गया कि विशेष रूप से संकटग्रस्त गांव, और नगरीय क्षेत्रों में भूजल का प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए वर्ष-2020 में केन्द्र ने कानून बनाया था। इसके अनुपालन में छत्तीसगढ़ सरकार ने नवंबर 22 में छत्तीसगढ़ भूजल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम पारित किया था। इसके तहत भूजल के उपयोग के लिए राज्य में प्राधिकरण जिलों में परिषद, और विकासखंड में भूजल उपयोगकर्ता समितियों का गठन कर उन्हें पानी के समुचित उपयोग के लिए अधिकृत करना था। किन्तु तीन साल बाद भी इसके क्रियान्वयन के लिए नियम न बनने से अधिनियम लागू नहीं हो सका है। इसमें गैर अधिसूचित क्षेत्रों में भूजल निकालने के लिए सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति लेना अनिवार्य किया गया है। यह स्वीकृति शुल्क लेकर ही ली जा सकती है। साथ ही निकाले गए भूजल की मात्रा मापने के लिए पानी के हर स्त्रोत के पास लीटर लगाना अनिवार्य किया गया। विधि विरूद्ध खनन, भूजल निकासी कर बेचना अपराध की श्रेणी में रखा गया है। 

बताया गया कि किसी असफल, अधूरे, और अनुपयोगी कूप जो उसके स्वामित्व का है, को सुरक्षित रखने की इस प्रकार की अवहेलना करेगा जिससे जन अथवा पशु की मृत्यु होने की संभावना है। ऐसे अपराध के लिए कारावास से जिसकी अवधि तीन माह से कम नहीं होगी। किन्तु एक वर्ष तक की होगी। जुर्माना पांच हजार से 10 हजार रूपए तक का हो सकेगा। 

वाणिज्यिक उपयोगकर्ता या औद्योगिक उपयोगकर्ता द्वारा यह अपराध किया जाता है, तो सजा की अवधि 6 वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो दो वर्ष की हो सकेगी अथवा जुर्माने से जो 10 हजार से कम होगा। किन्तु 25 हजार तक हो सकेगा दंडनीय होगा। दूसरी बार ऐसे ही अपराध में जुर्माना 50 हजार और सजा 3 वर्ष की होगी। इसकी सुनवाई विशेष न्यायालयों में या प्राधिकृत अधिकारियों के पास होगी। 

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