ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने दिया कार्रवाई का भरोसा
विशेष रिपोर्ट : दिनेश आकुला
हैदराबाद, (तेलंगाना), 8 अप्रैल। हैदराबाद के मेहदीपटनम डिपो में कार्यरत 7 फुट लंबे कंडक्टर अमीन अहमद अंसारी की तकलीफ भरी ड्यूटी की कहानी अब सिर्फ बस की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही। उनकी रोज की जद्दोजहद-झुके सिर के साथ घंटों की बस यात्राएं, लगातार होने वाला पीठ और गर्दन का दर्द-अब सरकार तक पहुँच चुकी है।
अमीन अहमद अंसारी, जिनकी लंबाई 214 सेंटीमीटर (करीब 7 फ़ुट) है, हर दिन औसतन पाँच ट्रिप करते हैं। प्रत्येक बस की छत की ऊँचाई 195 सेंटीमीटर यानी करीब 6 फुट 4 इंच है। ऐसे में उन्हें हर सफर गर्दन झुकाकर पूरा करना पड़ता है। नतीजा-तेज पीठ और गर्दन का दर्द, नींद की समस्या और लगातार शारीरिक थकान।
उनकी इस परेशानी को सोशल मीडिया पर सबसे पहले उजागर किया एक्स हैंडल ‘मंचोड़ू मणि’ ने। उन्होंने अंसारी की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, ‘इस शख्स का नाम अमीन अहमद अंसारी है। ये हैदराबाद के चंद्रायनगुट्टा, शहीनगर में रहते हैं। इनके पिता काचिगुड़ा डिपो में हेड कांस्टेबल थे, जिनका 2021 में बीमारी के चलते निधन हो गया। अंसारी को अनुकंपा नियुक्ति के तहत इंटरमीडिएट के बाद कंडक्टर की नौकरी मिली।’
इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए तेलंगाना के परिवहन मंत्री पोनम प्रभाकर ने कहा, ‘मुख्यमंत्री श्री रेवंत रेड्डी के सुझाव के अनुसार, अंसारी को आरटीसी में उनकी शारीरिक स्थिति के अनुसार कोई उपयुक्त कार्य दिया जाना चाहिए।’ उन्होंने इस ट्वीट को आरटीसी के एमडी वीसी सज्जनार को टैग करते हुए कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की ओर से यह सराहनीय पहल ऐसे वक्त में आई है जब सार्वजनिक सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों की मूलभूत ज़रूरतों और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। अंसारी जैसे कर्मचारियों की समस्याएं न केवल व्यक्तिगत स्तर पर तकलीफ देती हैं, बल्कि इससे उनकी कार्यक्षमता और मनोबल पर भी असर पड़ता है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने भी इस मामले में संवेदनशीलता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री की सराहना की है। कई यात्रियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया में अंसारी के प्रति सहानुभूति जताई और आग्रह किया कि ऐसे कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक, सुविधाजनक भूमिकाएं तय की जानी चाहिए।
अब सबकी निगाहें आरटीसी प्रशासन पर हैं- क्या वीसी सज्जनार इस मामले में त्वरित और संवेदनशील निर्णय लेकर अंसारी को ऐसा पद देंगे जहां वे बिना शारीरिक तनाव के काम कर सकें?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब जनता की आवाज सोशल मीडिया के जरिये सही जगह तक पहुँचती है, तो व्यवस्था को भी जवाब देना पड़ता है।