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भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत से बढ़ेगी, रेपो रेट में हो सकती है 100 आधार अंकों की कटौती : एसएंडपी ग्लोबल
25-Mar-2025 1:05 PM
भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत से बढ़ेगी, रेपो रेट में हो सकती है 100 आधार अंकों की कटौती : एसएंडपी ग्लोबल

नई दिल्ली, 25 मार्च । एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा मंगलवार को कहा गया कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत की जीडीपी अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025-26) में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जारी किए गए अपने तिमाही अपडेट में ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कह कि आने वाले मानसून सीजन के सामान्य रहने की उम्मीद है। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है। एसएंडपी के अनुसार, "कम होती महंगाई दर, आम बजट में इनकम टैक्स में दी गई छूट और ब्याज दरों में कमी से देश में खपत बढ़ेगी।" रेटिंग एजेंसी ने आगे कहा कि टैरिफ वस्तुओं पर लगाए जाते हैं। इस कारण से ऐसी अर्थव्यवस्थाएं जहां निर्यात में सर्विसेज की हिस्सेदारी अधिक है। वहां टैरिफ का प्रभाव कम होगा। इस कारण से टैरिफ के प्रति भारत एक अच्छी स्थिति में है। एसएंडपी का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आने वाले समय में रेपो रेट में 75-100 आधार अंक तक की कटौती कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि कम होती महंगाई दर और कच्चे तेल की कीमतों के कारण अगले वित्त वर्ष में महंगाई दर आरबीआई के लक्ष्य 4 प्रतिशत के करीब रह सकती है।

 

एसएंडपी के अनुसार, चीन के निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से उसकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया, "हमने नवंबर बेसलाइन में 10 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ शामिल किया था, जिसका मतलब है कि चीनी सामानों पर लगभग 25 प्रतिशत का प्रभावी अमेरिकी टैरिफ। इसके अतिरिक्त, अब इसे 10 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 35 प्रतिशत तक कर दिया गया है। इससे चीनी निर्यात में कमी आएगी और निवेश एवं अन्य प्रभावों के कारण चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी होगी।" इससे पहले एसएंडपी की ओर एक अलग रिपोर्ट में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया कि हमारी रेटिंग वाली अधिकांश भारतीय कंपनियों की आय में धीमापन आ सकता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में ऑपरेटिंग स्तर पर सुधार और वित्तीय क्षमता बढ़ने के कारण कंपनियां ऐसे दबावों को झेलने में सक्षम हैं। देश में मौजूद कंपनियों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था, कंज्यूमर खर्च में बढ़ोतरी और अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर से भी लाभ होगा। --(आईएएनएस)

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