मुख्य आरोपी की जमानत याचिका खारिज, पटवारी सहित 11 अब भी पकड़ से बाहर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 24 मार्च। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन बेचकर रिटायर्ड सहायक आयुक्त से 1 करोड़ 75 लाख रुपये की ठगी करने वाले जमीन दलाल विकास मांझी की जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। वहीं, पुलिस 11 दिन बीतने के बावजूद पटवारी सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है।
उसलापुर अल्का एवेन्यू निवासी सेवानिवृत्त आदिवासी विभाग सहायक आयुक्त अमरचंद बर्मन से सिंधी कॉलोनी निवासी राजकुमार उर्फ राजू बजाज, नेहरू नगर गीतांजलि विहार निवासी विकास मांझी और राजेश पांडेय ने पटवारी सुरेश सिंह ठाकुर की मिलीभगत से रिंग रोड-2 स्थित एक जमीन का फर्जी दस्तावेज दिखाकर 1.75 करोड़ रुपये ठग लिए।
पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने जमीन दलाल विकास मांझी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। आरोपी ने जमानत के लिए जिला न्यायालय में याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका खारिज कर दी।
मामले में पटवारी सुरेश सिंह ठाकुर सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। पुलिस का कहना है कि वह लगातार उनके ठिकानों पर दबिश दे रही है, लेकिन वे अब तक पकड़ से बाहर हैं।
13 मार्च को पुलिस जब विकास मांझी को गिरफ्तार करने के बाद उसके घर पहुंची, तो उसकी पत्नी और बेटी जमीन से जुड़े दस्तावेज छिपाकर भागने की कोशिश कर रही थीं। पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन दोनों ने महिला आरक्षक से विवाद कर हंगामा कर दिया। इस घटना के बाद, पुलिस ने मां-बेटी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया, लेकिन वे अब तक फरार हैं।
पुलिस जांच में यह बात सामने आ रही है कि आरोपी विकास मांझी और उसके फरार साथी सकरी और अमेरी क्षेत्र में भी फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से जमीन की खरीद-बिक्री कर चुके हैं। आरोपी के घर से बड़ी संख्या में जमीन के दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनके आधार पर अन्य पीड़ितों से पूछताछ की जा रही है।
इसी बीच, सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक अन्य पीड़ित ने विकास मांझी और उसके साथियों के खिलाफ लाखों रुपये की ठगी की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है।