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गर्भवती स्वस्थ महिला को अबॉर्शन का इंजेक्शन लगाने का आरोप, भ्रूण नष्ट होने पर परिजनों ने किया हंगामा
16-Mar-2025 11:33 AM
गर्भवती स्वस्थ महिला को अबॉर्शन का इंजेक्शन लगाने का आरोप, भ्रूण नष्ट होने पर परिजनों ने किया हंगामा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 16 मार्च। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में एक स्वस्थ गर्भवती महिला को इंजेक्शन लगाने के बाद उसका पांच माह का गर्भ नष्ट हो गया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि दूसरी महिला की जगह उसे गर्भपात का इंजेक्शन लगा दिया गया। उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और दोषी स्टाफ पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

कोटा क्षेत्र के करगीकला गांव की 24 वर्षीय गिरिजा साहू पांच माह की गर्भवती थी। 13 मार्च को पेट दर्द की शिकायत के बाद कोटा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां से उसे सिम्स रेफर कर दिया गया।

शनिवार को सोनोग्राफी कराने के बाद, जब वह अस्पताल के लेबर वार्ड में थी, तभी नर्सिंग स्टाफ वार्ड की अन्य गर्भवती महिलाओं को इंजेक्शन लगाने का कार्य कर रहा था। इसी दौरान स्टाफ ने गिरिजा साहू को अबॉर्शन को एक इंजेक्शन लगाया। इसके बाद कविता को ब्लीडिंग होने लगी और उसका गर्भ गिर गया। ,

पीड़िता के पति बद्री साहू का आरोप है कि उसी वार्ड में कविता नाम की एक महिला भर्ती थी, जो आठ माह की गर्भवती थी, लेकिन भ्रूण की मृत्यु हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे अबॉर्शन के लिए इंजेक्शन लगाने का निर्देश दिया था। लेकिन लापरवाही से गिरिजा को ही वह इंजेक्शन लगा दिया गया, जिससे उसका गर्भ नष्ट हो गया।

गिरिजा साहू ने बताया कि इंजेक्शन लगते ही उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और तेज ब्लीडिंग होने लगी। दर्द से तड़पती हुई गिरिजा को परिजनों ने तुरंत निजी अस्पताल ले जाने का फैसला किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा किया और दोषी स्टाफ पर कार्रवाई की मांग की। वहीं, सिम्स प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मरीजों को उनकी चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर सही इलाज दिया गया था।

सिम्स के अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने कहा कि गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप फिलहाल निराधार है, लेकिन पूरी घटना की जांच की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि जांच में लापरवाही साबित होती है, तो दोषी स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

स्त्री रोग विभाग की एचओडी डॉ. संगीता जोगी ने भी कहा कि महिला का इलाज उसकी रिपोर्ट के आधार पर किया गया। अगर 24 घंटे के अंदर इलाज नहीं होता, तो महिला की जान को खतरा था। दूसरी महिला का इंजेक्शन लगाने का आरोप गलत है।
 

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