‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 मार्च। अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) के कोर क्षेत्र में स्थित तीन गांवों के 170 परिवारों का विस्थापन किया जाएगा, जबकि 16 वनग्रामों के विस्थापन को लेकर अब तक कोई योजना नहीं बनी है। यह जानकारी विधानसभा में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव के सवाल के जवाब में वन मंत्री केदार कश्यप ने दी।
वन मंत्री ने बताया कि एटीआर के कोर क्षेत्र में पहले 25 वनग्राम थे, जिनमें से झूला, कूबा, बहऊर, बांकल, बोकराकछार और संभारधसन गांवों का प्रथम चरण में विस्थापन किया जा चुका है। अब दूसरे चरण में तिलीदबरी, बिरारपानी और चिरहट्टा गांवों के 170 परिवारों को बसाने की प्रक्रिया जारी है। इन गांवों के लिए स्थल चयन और सीमांकन पूरा कर लिया गया है तथा पेड़ों की कटाई का काम चल रहा है। भवन निर्माण, सड़क, पेयजल, सिंचाई और अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद ही इन गांवों के निवासियों को विस्थापित किया जाएगा।
वन मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी 16 अन्य वनग्रामों के विस्थापन को लेकर कोई योजना तैयार नहीं की गई है और न ही इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित की गई है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली के दिशा-निर्देशों के अनुसार, विस्थापित प्रत्येक परिवार को 2 हेक्टेयर कृषि भूमि और 0.05 हेक्टेयर आवासीय भूमि दी गई है। इसके अलावा, हर परिवार को 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है। पुनर्वासित गांवों में सड़क, स्कूल, बिजली, पक्की नाली, सामुदायिक भवन और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे विस्थापित परिवारों का जीवन सुगम बनाया जा सके।