नयी दिल्ली, 16 फरवरी। नयी दिल्ली स्टेशन पर मची भगदड़ के लिए कुछ लोगों ने अचानक प्लेटफॉर्म बदले जाने और अधिकारियों के कुप्रबंधन पर दोष मढ़ा, तो कई लोगों ने भारत की जनसंख्या, यात्रा शिष्टाचार की कमी और रेलवे की गलत घोषणाओं को जिम्मेदार ठहराया। जबकि कुछ लोग घटना के समय भी महाकुंभ में स्नान के दौरान ली गईं तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे।
नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात को भगदड़ मचने से कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
कुछ ही घंटे बाद सोशल मीडिया पर इस घटना के लिए दोष मढ़ने के संबंध में एक के बाद एक अनेक पोस्ट की गईं। इस भगदड़ से पहले बड़ी संख्या में लोग महाकुंभ जाने के लिए विभिन्न ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे, साथ ही अन्य स्थानों के यात्री भी बड़ी संख्या में थे।
सत्तारूढ़ दल की विचारधारा से जुड़े होने का दावा करने वाले कई लोगों ने कहा कि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के नाते भारत को भीड़ प्रबंधन के बुनियादी नियमों को सीखना चाहिए और लोगों को सार्वजनिक घोषणाओं को ध्यान से सुना जाना चाहिए।
प्रयागराज जाने वाली एक ट्रेन का प्लेटफॉर्म अचानक बदलने के कारण हंगामा होने और भगदड़ मचने संबंधी आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ अधिकारियों ने दावा किया कि किसी भी ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा नहीं की गई थी।
सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों के सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात की चर्चा थी कि लोग हल्के सामान के साथ यात्रा करने, कतार में लगने और पहले से टिकट आरक्षित कराने जैसे बुनियादी शिष्टाचार का पालन नहीं कर रहे।
कुछ पोस्ट में संसद में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाने और तुष्टिकरण की राजनीति को रोकने की तत्काल आवश्यकता बताई गई। साथ ही दावा किया गया कि जब तक भारत अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं कर लेता, तब तक भगदड़, सड़क यातायात और भीड़ प्रबंधन को नियंत्रित करना असंभव है।
कुछ लोगों ने तो सरकार को दोष देने के बजाय "देहातियों" को बुनियादी तौर-तरीके सिखाने की आवश्यकता पर बात की और कहा कि ग्रामीण लोग ‘‘अफवाहों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं और भगदड़ शुरू हो जाती है।”
दूसरी ओर के लोग, विशेषकर विपक्षी विचारधारा से जुड़े लोग, रेलवे और अन्य प्राधिकारियों की ओर से चूक होने की बात कर रहे थे, जैसे कि जब एक घंटे में हजारों लोगों को अनारक्षित टिकट जारी किए जा रहे थे, तब कोई चेतावनी नहीं दी गई, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर अनुपस्थित थे और यात्रियों को सही जानकारी देने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए।
उन्होंने कहा कि भगदड़ स्पष्ट रूप से सरकार की विफलता है, क्योंकि महाकुंभ जैसे आयोजनों के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था करना उसका कर्तव्य है।
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के तत्काल इस्तीफे की मांग की, जबकि भाजपा नेताओं ने स्थिति सामान्य होने की तस्वीरें पोस्ट कीं और कहा कि शीर्ष मंत्री लगातार नजर रख रहे हैं।
इन सभी आरोप-प्रत्यारोप के बीच, विभिन्न सरकारी ‘हैंडल’ प्रयागराज में तीन नदियों के संगम पर "पवित्र स्नान" करने वाले लोगों की संख्या और तस्वीरें पोस्ट करते रहे।
लोगों ने भी अपनी 'पवित्र स्नान' की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें भारतीय और विदेशी राजनयिक, मंत्री, सांसद, व्यवसायी और खिलाड़ी भी शामिल थे।
इस बीच, रेलवे, पुलिस, आम लोगों और राजनीतिक दलों की ओर से भगदड़ के बारे में विरोधाभासी विवरण सामने आते रहे।
रेल मंत्रालय ने अपनी ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या नहीं बताई है, जबकि कल रात उसने पहले तो भगदड़ की घटना से इनकार किया और फिर कुछ घंटों बाद स्वीकार किया कि कुछ लोगों की जान चली गई। (भाषा)