भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस के बाद अब अमरीका पहुंचे हैं, तो राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के साथ उनकी बहुत महत्वपूर्ण बैठकें हुई हैं। बिफरे हुए सांड के अंदाज में (इस मिसाल के लिए सांड से क्षमायाचना सहित) पूरी दुनिया को चकनाचूर करने में ओवरटाइम कर रहे ट्रम्प भारत के साथ कैसा सुलूक करते हैं इस पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। आज दुनिया का हर महत्वपूर्ण, या अमरीका के लिए नाजुक देश बारीकी से यह देख रहा है कि ट्रम्प उसका क्या भविष्य तय करते हैं, और हिन्दुस्तान भी अमरीका के लिए एक महत्वपूर्ण देश है। मोदी और ट्रम्प की मुलाकात वाले इस दौरे में भारत ने अमरीकी फौजी विमान खरीदने का भी कोई सौदा किया है, और इसकी शर्तें, मोलभाव अभी सामने नहीं आए हैं। फिर भी यह बात साफ है कि ट्रम्प दुनिया के हर देश के साथ आयात-निर्यात का व्यापार संतुलन बराबर करना चाह रहे हैं, और ऐसे में भारत से अमरीका जाने वाले सामानों पर भी कोई टैरिफ लगे या न लगे, इस पर भारतीय कारोबार की नींद हराम हो रखी है, भारतीय शेयर बाजार चौपट पड़ा है। फिर भी इस बात पर गौर करना जरूरी है कि मोदी ट्रम्प से पहले मिलने वाले दो-चार विदेशी शासन प्रमुखों में से एक हैं। इस बारे में बाकी जानकारी अभी खबरों में आती रहेगी, लेकिन आज एक दूसरे मुद्दे पर चर्चा करना जरूरी है।
नरेन्द्र मोदी की एक दूसरी तस्वीर आई है ट्रम्प के सबसे बड़े कारोबारी सहयोगी, टेस्ला नाम की दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी कार कंपनी, एक अंतरिक्ष कंपनी, ट्विटर (एक्स) सहित और कई कारोबारों वाले एलन मस्क के साथ मुलाकात की। एलन मस्क के दो छोटे-छोटे बच्चों से मिलते हुए मोदी उन्हें तोहफे दे रहे हैं। जाहिर है कि यह मुलाकात इसी तरह होनी थी, और इसके लिए मोदी तैयार होकर गए थे। एलन मस्क की ताकत का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री के साथ मस्क की ऐसी औपचारिक बैठक भी हो रही है, और वे अपने बच्चों को भी अमरीकी राष्ट्रपति भवन में ही मोदी से मिलवा रहे हैं। यह तो मेजबान की मर्जी की बात है कि वे मुलाकात के दौरान किसे साथ में रखें। मस्क के पास अमरीकी राष्ट्रपति का दिया हुआ ऐसा एक भी जिम्मा नहीं है कि भारतीय प्रधानमंत्री के साथ वे अमरीकी सरकार के प्रतिनिधि की हैसियत से कोई बात कर सकें। मस्क को ट्रम्प ने सिर्फ यह काम दिया है कि अमरीकी सरकार में फिजूलखर्ची को किस तरह घटाया जा सकता है। यह निहायत ही घरेलू काम है, और इसका अमरीका के बाहर कोई लेना-देना नहीं है। अब ऐसे में राष्ट्रपति भवन में ही आए हुए भारतीय प्रधानमंत्री से मस्क की यह मुलाकात अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कुछ नए पहलू सामने रखती है। एक तो यह कि दुनिया का सबसे संपन्न आदमी भारतीय प्रधानमंत्री से इस तरह मिल रहा है। हो सकता है कि यह भारत के भी कारोबारी हित में हो, और किसी देश के शासन प्रमुख के लिए कारोबारियों से भी अकेले मिलने में कोई अटपटी बात नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या एक अमरीकी कारोबारी अमरीकी राष्ट्रपति भवन का इस्तेमाल ऐसी बैठक के लिए कर सकता है, या फिर दूसरा सवाल यह है कि अगर वह राष्ट्रपति भवन में अपने कारोबार से परे मिल रहा है तो वह राष्ट्रपति या सरकार का किस हैसियत से प्रतिनिधित्व कर रहा है? दिक्कत मोदी के साथ नहीं थी, दिक्कत एलन मस्क की अमरीकी सरकार में हैसियत के साथ है, मस्क अमरीकी सरकार के साथ खरबों का कारोबार करने वाला, अमरीका के दूसरे कारोबारियों के साथ दुश्मनी रखने वाला, और दुनिया के बहुत से दूसरे देशों में अपने बिखरे हुए कारोबार वाला व्यक्ति है। वह राष्ट्रपति ट्रम्प के सिर पर एक साए की तरह छाया हुआ दिखता है, और बहुत बड़ी अमरीकी पत्रिका, टाईम ने अभी एलन मस्क को राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे हुए एक तस्वीर बनाकर तंज कसा था कि वे अघोषित राष्ट्रपति हैं।
हम याद दिलाना चाहेंगे कि अभी ट्रम्प ने राष्ट्रपति भवन के अपने दफ्तर, ओवल ऑफिस में मीडिया से बात की, तो वहीं बगल में एलन मस्क खड़े हुए थे, अपने बेटे को अपने कंधों पर चढ़ाकर रखा था, और मीडिया के सवालों के जवाब वे उसी अंदाज में दे रहे थे। उनके बच्चे राष्ट्रपति के टेबिल के आसपास खेल रहे थे, मस्क की गोद और गर्दन पर चढ़े हुए थे, और बगल में बैठे राष्ट्रपति मस्क को जवाब देते भी सुन रहे थे। यह एक बहुत ही अनोखी, अटपटी, और असाधारण नौबत है जब दुनिया का सबसे रईस आदमी, अमरीकी सरकार के साथ कारोबार करने वाला एक सबसे बड़ा कारोबारी, ट्रम्प के ही टक्कर का सनकी, और वैसी ही भयानक पसंद और नापसंद रखने वाला व्यक्ति अगर अमरीकी राष्ट्रपति के इतिहास में ऐसी अभूतपूर्व ताकत रखता है, तो उसे क्या कहा जाए! खुद डोनल्ड ट्रम्प का परिवार उनके इस कार्यकाल में शपथ ग्रहण के बाद से नहीं दिख रहा है, और उनके इर्द-गिर्द एलन मस्क अपनी सरकारी जिम्मेदारी से परे हर अंतरराष्ट्रीय मामले में टांग अड़ाते हुए रात-दिन दिख रहे हैं।
अमरीकी सरकार की फिजूलखर्ची घटाने की सरकारी जिम्मेदारी से परे एलन मस्क दुनिया के बहुत से देशों के साथ अमरीका के रिश्तों को प्रभावित करने वाले सनकी बयान देते आ रहे हैं। वे ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों की घरेलू राजनीति की जटिलताओं में किसी एक पक्ष के हिमायती होकर किसी दूसरे को हराने के बयान दे रहे हैं, और अमरीका की ऐसी अघोषित विदेश नीति किसी ने देखी नहीं थी, बल्कि दुनिया के किसी भी देश में सरकार पर किसी प्रेतछाया की तरह मंडराने वाला ऐसा इंसान कभी नहीं रहा है। सरकारों के पसंदीदा कारोबारी रहते हैं, इसमें तो कोई लुकीछिपी बात नहीं है, लेकिन सरकार पर अपनी पसंद इस हद तक थोपने का असर रखने वाले ऐसे कारोबारी दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में इसके पहले देखने नहीं मिले हैं। कारोबारी अगर सरकारों पर अपना असर रखते भी हैं तो वह बंद कमरों की बात रहती है, अमरीकी राष्ट्रपति की मीडिया से औपचारिक बातचीत के दौरान उनका कारोबारी दोस्त इस तरह बच्चे को कंधे पर चढ़ाए हुए उन्हीं के दफ्तर में मीडिया के सवालों के जवाब देता रहे, और यह कहता रहे कि हो सकता है कि उसके पहले के कई बयान तथ्यों से परे के रहे हों। अमरीका की विदेश नीति, और अमरीकी सरकार के रूख और उसकी रणनीति दिखाने वाले ऐसे बयान अगर तथ्यों के ठीक खिलाफ दिए गए हैं, तो एलन मस्क किस हैसियत से ऐसा कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, और इससे अमरीका के अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर क्या असर होगा, ऐसे सवाल डोनल्ड ट्रम्प के अलावा दुनिया के हर जानकार के मन में उठ रहे होंगे।
हम सरकार और कारोबार का ऐसा घालमेल दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में देखना नहीं चाहते। यह क्रोनी कैपिटलिज्म से बहुत आगे की बात है, और यह पूरे लोकतंत्र को हाईजैक कर लेने का मामला है। ट्रम्प का यह कार्यकाल चार साल के कुछ पहले खत्म हो जाएगा, और अमरीकी संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक वे इसके बाद कभी अमरीकी सरकार में कुछ नहीं बन सकेंगे, लेकिन उनकी दी हुई ताकत से एलन मस्क आज अमरीका की सरकार, उसके विदेश नीति, उसके कारोबार को जिस तरह से हांक रहे हैं, वह हक्का-बक्का करने वाला है।