-आकाश चन्द्रवंशी
सबसे कमसिन शतरंज विश्व चैंपियन डी. गुकेश के दो खास बयान है- एक) आलोचना हमेशा मुझे प्रेरणा और ताकत देती रही है। दो) मैं जिंदगी में किसी भी मामले में छल करना नहीं चाहता।
पिछले कई महीनों से लगातार शह और मात झेलते हुए सोच रहा था की नए नियमों से शतरंज का विधिवत अभ्यास दो-चार बार किया जाए। फिर यह भी ख्याल आया कि जेन जी (जनरेशन नेक्स्ट) के रूप में उभर रहे शतरंज के भारतीय जलजलों की लिस्टिंग की जाए। घर-दफ्तरों के जंजालों में उलझा रहा। जब अपना घर ही ठीक से न संभलता हो, तो चौसठ खानों के खेल के मायाजाल में क्यों उलझना।
फिर एक विस्मयकारी घटना 12 दिसम्बर 2024 को हुई। 18 वर्ष के डी. गुकेश ने 14 दिन चले 56 घंटों के रोमांचक मुकाबले में डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बने। उन्होंने ना केवल गैरी कास्परोव के युवा चैंपियन के रिकार्ड को तोड़ा बल्कि वे यह खिताब जीतने वाले ग्रैंड मास्टर विश्वनाथ आनंद के बाद दुसरे भारतीय बने।
नई पीढ़ी के खिलाडिय़ों में एरिगैसी, प्रज्ञानंद, रौनक साधवानी, अरविंद चिदंबरम, प्रणब वी. और रानियों में आर. वैशाली, दिव्या देशमुख, वंतिका अग्रवाल शामिल है।
गुकेश साहसी, दृढ़निश्चयी और निर्भीक चैलेंजर है। शतरंज की बिसात में चाले चलते समय माथे पर विभूति लगाए गुकेश प्राय: शर्ट की कॉलर ठीक करते है तो कभी आंखें मूंद लेते हैं। विरोधी की चाल की गणना और अंदाज ले लेते है। गुकेश पिछले कुछ वर्षों से ध्यान और योग कर रहे है। उनका मानना है कि ये उनके मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण का मुख्य हिस्सा है।
शतरंज की बिसात की तरह आज जिंदगी की सिर्फ एक चाल ने पूरी जमावट और नतीजा बदल दी।