रामकृष्ण केयर ने किया जागरूक
रायपुर, 17 जनवरी। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल ने बताया कि ब्लड कैंसर या हेमेटोलॉजिकल कैंसर अलग-अलग प्रकार के होते हैं जो खून, बोन मेरो और लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करते हैं। इनके लक्षण और प्रभाव एक-दूसरे से काफी अलग हो सकते हैं। इस वजह से इनके लक्षणों की समझ होना बहुत ज़रूरी है, ताकि जल्द से जल्द रोकथाम के संभावित उपायों और कारगर इलाज पर ध्यान दिया जा सके। ग्लोबोकैन 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में 70,000 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु ब्लड कैंसर से होती है। इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि सालाना ब्लड कैंसर के 1,20,000 नए मामले सामने आते हैं, जिनमें 30,000 बच्चे भी शामिल हैं।
हॉस्पिटल ने बताया कि ब्लड कैंसर के मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं: ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। ल्यूकेमिया: यह कैंसर बोन मेरो और खून को प्रभावित करता है। ल्यूकेमिया एक्यूट (जल्द बढऩे वाला), या क्रोनिक (धीरे बढऩे वाला) हो सकता है। इसके भी कुछ प्रकार होते हैं जैसे- एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल), एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल), क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल), और क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (सीएलएल)। एक्यूट ल्यूकेमिया में जान का खतरा होता है इसलिए इसके मरीज़ को जल्द इलाज की ज़रुरत होती है, वहीं क्रोनिक ल्यूकेमिया का इलाज समय के साथ इसकी गंभीरता के आधार पर किया जा सकता है।
हॉस्पिटल ने बताया कि लिम्फोमा: इस कैंसर की शुरुआत लिम्फैटिक सिस्टम में होती है, जो इम्यून सिस्टम का हिस्सा होता है। लिम्फोमा के दो मुख्य प्रकार हैं- हॉजकिन लिंफोमा और नॉन-हॉजकिन लिंफोमा। नॉन-हॉजकिन लिंफोमा बहुत सामान्य है और इसके भी कई प्रकार होते हैं, जिनके इलाज के तरीके भी अलग-अलग हैं।
हॉस्पिटल ने बताया कि मल्टीपल मायलोमा: यह कैंसर बोन मेरो में पाई जाने वाली एक प्रकार की वाइट ब्लड सेल, प्लाज़्मा सेल्स में होता है। मल्टीपल मायलोमा में शरीर हेल्दी ब्लड सेल्स और एंटीबॉडी बनाने में सक्षम नहीं होता, जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ-साथ हड्डियां कमज़ोर और किडनी खराब हो जाती है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ में मल्टीपल मायलोमा के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
हॉस्पिटल ने बताया कि संभावित कारण-ब्लड कैंसर के वास्तविक कारणों को अभी तक सटीकता से समझा नहीं जा सका है, लेकिन कुछ संभावित कारणों का पता लगाया गया है। जेनेटिक यानि अनुवांशिक कारण: आम तौर पर ब्लड कैंसर जींस की वजह से नहीं होते लेकिन कुछ रेयर मामलों में ऐसा हो सकता है, केमिकल्स के संपर्क में आना: बेंज़ीन और हर्बीसाइड जैसे ग्लाइफोसेट के संपर्क में आने से ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
हॉस्पिटल ने बताया कि रेडिएशन के संपर्क में आना: अगर कोई व्यक्ति पहले कभी रेडिएशन के संपर्क में आया हो जैसे किसी कैंसर के इलाज या न्यूक्लियर एक्सीडेंट के दौरान, तो इससे ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, उम्र और लिंग: बढ़ती उम्र के साथ ब्लड कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है, और सामान्यतया महिलाओं से ज़्यादा पुरुषों को इसका खतरा होता है।