24 फरवरी को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
बिलासपुर, 17 जनवरी। शहर में बिजली के खंभों पर लटके केबल तारों से बढ़ते खतरे को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई कर रही है। प्रदेश सरकार के साथ संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। गुरुवार की सुनवाई में शासन की ओर से बताया गया कि बिजली खंभों से केबल को हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।
बिलासपुर में बढ़ते शहरी विस्तार के साथ ही बिजली खंभों पर केबल और इंटरनेट तारों का जाल फैला हुआ है। बिजली तारों से अधिक संख्या में इन केबलों ने खंभों को घेर रखा है, जिससे न केवल शहर की सुंदरता प्रभावित हो रही है, बल्कि गंभीर हादसों का भी खतरा बढ़ गया है।
कुछ माह पूर्व एक बिजली कर्मचारी की मौत खंभे पर लगे करंटयुक्त केबल के कारण हो गई थी। इसके बावजूद शहर के अधिकांश इलाकों में ये तार असुरक्षित ढंग से लटके हुए हैं। हाईकोर्ट ने पाया कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों में खंभों पर तारों के गुच्छे और लापरवाही की स्थिति स्पष्ट दिखाई देती है।
गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की आगे सुनवाई की। इस दौरान सीएसपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक भीम सिंह कंवर ने शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि प्रदेशभर में बिजली खंभों से केबल तारों को हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। उन्होंने हाईकोर्ट से इस कार्य की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार कर 24 फरवरी को अगली सुनवाई निर्धारित की गई।
इस मामले में मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव, नगरीय प्रशासन सचिव, बीएसएनएल, एमडी सीएसपीडीसीएल, कलेक्टर बिलासपुर, नगर निगम आयुक्त और सीएसपीडीसीएल के अधीक्षण अभियंता को पक्षकार बनाया गया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पूरे प्रदेश में बिजली खंभों से केबल तारों को व्यवस्थित तरीके से हटाया जाए और भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।
राज्य शासन और सीएसपीडीसीएल की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और अधिवक्ता वरुण शर्मा ने पक्ष रखा। कोर्ट ने राज्य स्तर पर जारी निर्देशों को अमल में लाने और समयसीमा के भीतर कार्य पूरा करने का निर्देश दिया।