बिलासपुर, 17 जनवरी। एनडीपीएस (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) मामलों में दोषमुक्ति के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने और विवेचना की त्रुटियों को सुधारने के लिए बिलासपुर रेंज में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ के निर्देशन और पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के मार्गदर्शन में हुआ।
प्रशिक्षण का उद्देश्य मादक पदार्थों से जुड़े प्रकरणों में अभियोजन से संबंधित त्रुटियों को दूर करना और आरोपियों को सजा सुनिश्चित करना था। एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) और अभियोजन विभाग के विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण सत्रों का संचालन किया।
प्रशिक्षण के दौरान एनडीपीएस मामलों में दोषमुक्ति के प्रमुख कारणों की पहचान की गई और त्रुटिरहित विवेचना पर जोर दिया गया। कार्यशाला में मादक पदार्थों की तस्करी से अर्जित संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया को समझाया गया। जांच प्रक्रिया को सुदृढ़ करने के उपाय बताए गए, साथ ही सैंपलिंग, जब्ती और ड्रग्स के निस्तारण जैसे विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए गए।
एनसीबी के असिस्टेंट डायरेक्टर रविशंकर जोशी ने प्रशिक्षण की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला।
पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला ने नशे को समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बताते हुए इसकी मांग और आपूर्ति चेन को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विवेचना में वित्तीय पहलुओं को शामिल करने की भी सलाह दी।
कार्यशाला में बिलासपुर रेंज के विभिन्न जिलों के अधिकारी और एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स) के सदस्य शामिल हुए।
विशेष सत्रों में अभियोजन अधिकारियों, जैसे संयुक्त संचालक माखनलाल पांडेय और विशेष अभियोजक संजय नामदेव ने भी अपने अनुभव साझा किए।
प्रशिक्षण के चार सत्र आयोजित किए गए, जिनमें एनडीपीएस प्रकरणों की विवेचना, जब्ती, सैंपलिंग और वित्तीय जांच पर गहन जानकारी दी गई। इस पहल का उद्देश्य मादक पदार्थों से संबंधित मामलों में आरोपियों को न्याय के दायरे में लाना और समाज को नशे के खतरे से बचाना है।