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कनाडा के लोग अमेरिका में शामिल होने की बात पर क्या कह रहे हैं?
11-Jan-2025 3:41 PM
कनाडा के लोग अमेरिका में शामिल होने की बात पर क्या कह रहे हैं?

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका में शामिल करने की बात कर बहस छेड़ दी है।

कनाडा के लोग भी इस पर खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और दुनिया भर के विशेषज्ञ अमेरिका की जमकर आलोचना कर रहे हैं।

ट्रंप लालच दे रहे हैं कि कनाडा अमेरिका में शामिल हो जाएगा तो टैरिफ से मुक्ति मिल जाएगी और टैक्स भी कम हो जाएगा। लेकिन कनाडा के लोगों को ट्रंप का यह आइडिया लुभा नहीं पा रहा है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ट्रंप की नीतियों को लेकर अमेरिका को आड़े हाथों ले रहे हैं।

द हिन्दू के अंतरराष्ट्रीय संपादक स्टैनली जॉनी ने लिखा है, ‘ओबामा ने क्राइमिया पर क़ब्ज़ा के कारण रूस को जी-8 से निकाल दिया था। जॉन केरी ने इसे मध्यकालीन बर्बरता कहा था। इसके बाद अमेरिका ने रूस पर कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाए। बाइडन रूस के खिलाफ यूक्रेन को फंड के साथ हथियार देते रहे और कहा कि पुतिन विस्तारवादी नीति पर चल रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडन ने रूस के ख़िलाफ़ वैश्विक गठबंधन भी तैयार किया। अब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति कनाडा, ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर अपना नियंत्रण चाहते हैं।’

कनाडा में क्या कहा जा रहा है?

कनाडा की प्रमुख विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पिएरे पोलिएवे ने ट्रंप के बयान को ख़ारिज करते हुए कहा कि कनाडा कभी भी अमेरिका का 51वां राज्य नहीं बन पाएगा।

पिएरे ने एक्स पर लिखा, ‘हम एक महान और स्वतंत्र मुल्क हैं। हम अमेरिका के सबसे अच्छे दोस्त हैं। हमने 9/11 हमले के बाद अल-क़ायदा के खिलाफ कार्रवाई में अमेरिकियों की मदद के लिए अरबों डॉलर और सैकड़ों जानें दी हैं। हम अमेरिका को बाज़ार मूल्य से कम क़ीमतों पर अरबों डॉलर की उच्च गुणवत्ता वाली और पूरी तरह से विश्वसनीय ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं। हम अरबों डॉलर का अमेरिकी सामान खरीदते हैं।’

उन्होंने लिखा, ‘हमारी कमज़ोर एनडीपी-लिबरल सरकार इन साफ़ बिंदुओं को बताने में विफल रही। मैं कनाडा के लिए लड़ूंगा। जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा तो हम अपनी सेना को दोबारा से खड़ा करेंगे और सीमा को वापस कब्जे में लेंगे ताकि कनाडा-अमेरिका सुरक्षित रहें। हम हमारे आर्कटिक का वापस नियंत्रण लेंगे ताकि रूस और चीन को बाहर रख सकें।’

‘हम करों में कटौती करेंगे, लालफ़ीताशाही को कम करेंगे और अपने देश में तनख़्वाहें और उत्पादन लाने के लिए बड़े पैमाने पर संसाधन परियोजनाओं को तेज़ी से हरी झंडी देंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो हम कनाडा को पहले स्थान पर रखेंगे।’

ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस लेनी वाली एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने डोनाल्ड ट्रंप की निंदा की है।

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘बस करो डोनाल्ड। कोई कनाडावासी आपको जॉइन नहीं करना चाहता। हम प्राऊड कनैडियन्स हैं। जिस तरह से हम एक दूसरे का ख़्याल रखते हैं और अपने देश की हिफ़ाज़त करते हैं, हमें उस पर नाज़ है।’

‘आपके हमले सरहद की दोनों ओर नौकरियों पर असर डालेंगे। अगर आप कनाडा के लोगों की नौकरियां खाएंगे तो अमेरिका को इसकी क़ीमत चुकानी होगी।’

कनाडा की विदेश मंत्री मेलेनी जोली ने लिखा, ‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का बयान ये दिखाता है कि उन्हें इस बात की समझ नहीं है कि कनाडा एक मजबूत देश कैसे है। हमारी अर्थव्यवस्थ मज़बूत है। हमारे लोग मजबूत हैं। हम धमकियों के आगे कभी नहीं झुकेंगे।’

पीपल्स पार्टी ऑफ कनाडा के प्रमुख मैक्सिम बर्निअर ने लिखा है, ‘एक बात जो मुझे अमेरिका के बारे में हमेशा से नापसंद रही है, वह है वहाँ की नव-रूढि़वादी सरकारों का सैन्यवादी और साम्राज्यवादी रवैया। यह रवैया डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों में मौजूद है। दशकों से ये दूसरे देशों पर हमला करते रहे हैं, सरकारें बदलते रहे हैं, बमबारी करते रहे हैं और हजारों निर्दोषों की जान लेते रहे हैं। अमेरिका ये सब दुनिया को सुरक्षित बनाने के नाम पर करता है। अमेरिका के अब भी 80 देशों में 750 सैन्य ठिकाने हैं ताकि ये अपने साम्राज्य की रक्षा कर सकें।’

मैक्सिम बर्निअर ने लिखा है, ‘मैंने ट्रंप का समर्थन इसलिए किया था कि उन्होंने महंगे और अर्थहीन युद्धों का विरोध किया था। यहां तक कि उन्होंने यूक्रेन में रूस के साथ अमेरिका के छद्म युद्ध को भी खत्म करने की बात कही थी। ओबामा और बाइडन खुलकर युद्धों को बढ़ावा दे रहे थे। ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी शांति की समर्थक लग रही थी। अमेरिका वियतनाम से लेकर अफग़़ानिस्तान तक में अपमानित हुआ है। यूक्रेन में भी चीज़ें उसके हक़ में नहीं जा रही हैं। रूस के खिलाफ प्रतिबंध बैकफायर कर रहा है।’

मैक्सिम बर्निअर ने लिखा है, ‘ट्रंप का कहना है कि वह आर्थिक ताक़त का इस्तेमाल करेंगे। मतलब ट्रंप कनाडा से इकनॉमिक वॉर शुरू करना चाहते हैं।

ट्रंप हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह करना चाहते हैं। ज़ाहिर है, इसका असर अमेरिका पर भी पड़ेगा, लेकिन कनाडा की तुलना में कम पड़ेगा। कनाडा अमेरिका से कोई भी युद्ध जीतने में सक्षम नहीं है। हम अमेरिका से आर्थिक जंग में भी देर तक नहीं टिक पाएंगे। कनाडा आर्थिक रूप से अमेरिका पर निर्भर है। अगर ट्रंप वाकई कनाडा को अमेरिका में शामिल करना चाहते हैं तो हम बिल्कुल एक अलग गेम में जा रहे हैं, जो बहुत ही ख़तरनाक होगा। ज़ाहिर है इसका कोई आसान समाधान नहीं होगा।’

संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे ने लिखा है, ‘संप्रभुता और स्वतंत्रता अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का एक मूलभूत सिद्धांत है। मुझे यूक्रेन की स्वतंत्रता की रक्षा करने पर गर्व है। मुझे कनाडा की रक्षा करने पर भी गर्व है। कनाडा की संप्रभुता की रक्षा करना हर देशभक्त का कर्तव्य है। चाहे वह किसी भी पार्टी या क्षेत्र से संबंध रखता हो।’

हकीकत से परे कल्पना

डग फोर्ड कनाडा के ओंटेरियो प्रांत के प्रीमियर हैं। डग फोर्ड हाल के दिनों में ट्रंप की टैरिफ से जुड़ी धमकियों के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। फोर्ड ने कहा है कि दोनों देशों को उत्तरी अमेरिका की समृद्धि के लिए चीन की चुनौती से मिलकर लडऩा चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘हमें मिलकर इस विलय के हास्यास्पद विचारों पर समय की बर्बादी की बजाय मेड इन कनाडा और मेड इन यूएसए के गौरव को बहाल करने की कोशिशों पर ध्यान देना चाहिए।’

फोर्ड के अलावा कई जानकार भी ये मानते हैं कि ट्रंप की सोच हकीकत से परे है।

कनाडाई अख़बार द ग्लोबल एंड मेल से कार्लटन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अमेरिकी विदेश नीति से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर एरॉन एटिंगर ने कहा कि ट्रंप का रवैया हमेशा से अमेरिका की बड़ी अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल छोटे साझेदारों पर दबाव बनाकर रियायतें पाने वाला रहा है।

उन्होंने कहा, ‘अगर ट्रेड वॉर छिड़ता है तो ये कनाडा को आर्थिक गुलाम बना सकता है लेकिन गुलामी हमारी संप्रभुता खोने से अलग है।’

प्रोफेसर एटिंगर ने कड़े शब्दों में कहा, ‘आखिर में ये सब बकवास बातें हैं।’

वहीं रॉयल मिलिटरी कॉलेज ऑफ़ कनाडा में डिफ़ेंस स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर ऐडम चैपनिक का कहना है कि ट्रंप को अपनी ही पार्टी के भीतर जंग लडऩी पड़ेगी। साथ ही कनाडा को अपना संविधान बदलना पड़ेगा जो वास्तव में अपने ‘अस्तित्व को खत्म’ करने के लिए होगा। इसके लिए कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स और सीनेट में वोट जीतने होंगे और साथ ही हर प्रांत, क्षेत्र को एकसाथ लाना होगा।

उन्होंने कहा, ‘और जब बात किसी देश की आती है तो कई मुकदमें होंगे, जिनके निपटारे में दशकों न भी लगें लेकिन सालों जरूर गुजर जाएंगे।’

कनाडा में रह रहे अमेरिकियों

की राय क्या है?

पढ़ाई या काम के सिलसिले में कनाडा में रहने वाले अमेरिकियों की तादाद लाखों में है।

ट्रंप के बयान पर जब इन लोगों से कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (सीबीसी) ने सवाल पूछे तो जवाब मिले-जुले आए।

मॉन्ट्रियल की मैकगिल यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई कर रहीं जैकब वेसोकी ने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का अपने सबसे करीबी सहयोगी पर ऐसा बयान निराशाजनक है।

उन्होंने कहा, ‘कनाडा में रहने वाले एक अमेरिकी के तौर पर ये देखना वाकई दुखद है।’ वेसोकी ने राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस को वोट दिया था।

लेकिन कनाडाई-अमेरिकी जॉर्जेन बुर्क ट्रंप की कट्टर समर्थक हैं। उनकी नजऱ में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति शायद थोड़े-बहुत ट्रोल जैसे सुनाई पड़ रहे हैं। हालांकि, वो ट्रंप के एक्शन को कनाडा के लिए हानिकारक नहीं मानती हैं। वह कहती हैं, ‘वो कुछ भी गैर-जरूरी तो नहीं कह रहे।’

बुर्क ने कहा, ‘ट्रंप कनाडा विरोधी नहीं हैं लेकिन उनके पास सीमा पर आतंकवाद के खतरे पर चिंता की वाजिब वजहें हैं। साथ ही कनाडा नेटो के सैन्य खर्चे को भी पूरा नहीं दे पा रहा है।’

‘वो किसी ट्रोल जैसे सुनाई पड़ सकते हैं, चाहे लोग पसंद करें या न करें। लोग चाहे ये कहें कि अरे किसी राष्ट्रपति के लिए ये कहना सही नहीं या कुछ भी।।।लेकिन वो ऐसे ही हैं।’

वहीं, जैकब की नजऱ में ट्रंप दोनों देशों के बीच व्यापारिक सौदे में रियायत पाने के लिए टैरिफ वाली धमकियां दे रहे हैं। जैकब का अमेरिका-कनाडा के रिश्तों के लिए नज़रिया अभी भी आशावादी है।(bbc.com/hindi)

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