संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : साम्प्रदायिक दंगे फैलाने की कोशिश देशद्रोह है
06-Jan-2025 4:14 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : साम्प्रदायिक दंगे फैलाने की कोशिश देशद्रोह है

महाकुंभ मेले को नासर पठान नाम की एक आईडी से सोशल मीडिया पर धमकी दी गई कि कुंभ में एक विस्फोट से कम से कम हजार लोगों को मार डाला जाएगा। इस आईडी को नासर कट्टर मियां भी लिखा गया, और इससे होने वाली पोस्ट में इंशा अल्लाह और अल्लाह इज ग्रेट जैसे शब्दों के साथ विस्फोट में हजार से अधिक को मारने की बात लिखकर सनसनी फैला दी गई। कुंभ को लेकर यूपी पुलिस कुछ चौकन्ना चल रही है क्योंकि कनाडा में बसे खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी कुंभ पर कुछ खास पर्वों के दिन खालिस्तानी हमले की धमकी दी है। अब वह धमकी तो चाहे जैसी भी रही हो, भारत में आज हिन्दू-मुस्लिम तनाव एक बड़ा मुद्दा है, और इसलिए यूपी पुलिस ने बहुत तेजी से इस सोशल मीडिया अकाउंट की तह तक पहुंचकर धमकी पोस्ट करने वाले को गिरफ्तार किया। हजार लोगों को मार डालने की धमकी नासर पठान के नाम से पोस्ट करने वाला बिहार का नौजवान आयुष कुमार जायसवाल निकला। उसने एक मुस्लिम नाम से फर्जी आईडी बनाई थी, और यह सनसनी, नफरत, और साम्प्रदायिकता फैलाने का काम किया था। 31 दिसंबर को यह पोस्ट करने के बाद आयुष नेपाल चले गया था, और अब पुलिस उसके नेपाल कनेक्शन भी तलाश रही है।

अब कुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला होने जा रहा है, जिसमें डेढ़ महीने में 40 करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। हिन्दू आस्था का यह प्रदर्शन केन्द्र और राज्य सरकार की तरह-तरह की आर्थिक मदद से हो रहा है, और सरकार ही इसमें मेजबान भी है। देश भर के हिन्दुओं को इसके लिए न्यौता दिया जा रहा है, और कुछ खास दिनों पर तो यहां एक दिन में एक करोड़ से अधिक लोगों के भी आने की उम्मीद है। जहां धार्मिक वातावरण में इतने लोग एकजुट होने हों, उस आयोजन को लेकर वहां पहुंचने वाले लोगों के बीच एक मुस्लिम के नाम से विस्फोट से कम से कम हजार लोगों को मार डालने की धमकी देने की कई तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है। इतनी भीड़ के बीच किसी फेरीवाले मुस्लिम को लेकर अगर लोगों को कोई शक हुआ, और उसे घेरकर मार डाला गया, तो वैसे तनाव के पीछे इस फर्जी पोस्ट से शुरू साम्प्रदायिकता भी जिम्मेदार रहेगी। आज देश भर में जगह-जगह धर्मान्ध भीड़ किसी को भी घेरकर मार रही है, और वैसे में कुंभ को लेकर इस तरह की साम्प्रदायिक धमकी देना देश में दंगा फैलाने की हरकत से कम कुछ नहीं है।

अब सोशल मीडिया और मैसेंजर सर्विसों की मेहरबानी से लोगों को सुबह चाय का पहला कप मिलता है, उसके पहले वे हजार-पांच सौ लोगों के बीच नफरत बांट चुके रहते हैं। फिर जिन्हें नफरत के ऐसे झूठे वीडियो और गढ़े हुए पोस्ट मिलते हैं, वे इसे अपनी सार्वजनिक, राजनीतिक, धार्मिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी मानते हुए और लोगों को आगे बढ़ा देते हैं। यह देश ऐसी सोच पर खड़ा हुआ है जिसमें किसी देवी से लेकर सांई बाबा तक के पर्चों को बांटने के काम में लोग जुट जाते हैं, क्योंकि 21 लोगों तक वैसा पर्चा लिखकर न बांटने से बड़ा अशुभ हो सकता है, ऐसी मजबूत सोच इस देश के लोगों की है। इसलिए खासे पढ़े-लिखे और वैज्ञानिक जानकारी के लोग नफरत फैलाने के लिए मानो सुबह अलार्म लगाकर जल्दी उठते हैं कि मुर्गा लोगों को जगा सके उसके पहले वे लोगों के भीतर नफरत को जगाने में कामयाब हो चुके रहें। ऐसे लोगों के हाथ जब नासर पठान के नाम से जारी ऐसी धमकी मिलती है जो कि हिन्दुओं के सबसे बड़े आस्था-मेले में आतंकी हमले की बात करती है, तो जाहिर है कि इसे भी आगे बढ़ाया जाएगा, बढ़ाया जा चुका होगा। और पुलिस ने जांच में नासर पठान की जगह आयुष जायसवाल को पाया है, इस बात को नफरतियों की दस फीसदी भीड़ भी आगे नहीं बढ़ाएगी। इसलिए झूठ जब चारों तरफ आग लगा चुका रहता है, सच एक बाल्टी रेत लेकर सोचता है कि बुझाना कहां से शुरू किया जाए।

हमारा मानना है कि बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की ऐसी साजिश करने वाले लोगों को किसी स्पेशल कोर्ट के तहत तेजी से सजा मिले, और बाकी लोगों को सबक मिले। अभी तो हम नफरत फैलाने वालों को कोई सजा मिलना तो दूर, कोई समन मिलते भी नहीं देखते। जाहिर है कि ऐसे में सबके हौसले बढ़ते चलते हैं, और देश के अधिकतर हिस्सों में बहुसंख्यक धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक धर्म के लोगों के हक पर आपत्ति होने लगी है। यह पहला ऐसा मौका नहीं है कि यूपी-बिहार जैसे हिन्दीभाषी, हिन्दू बहुतायत वाले प्रदेशों में ऐसी हरकत की गई हो। पिछले बरस यूपी में एक थानेदार का तबादला करवाने के लिए उस इलाके के कुछ हिन्दू गुंडों ने गाय कटवाकर कुछ जगहों पर फेंक दी, और उसके पास एक मुस्लिम का परिचय पत्र डाल दिया था ताकि साम्प्रदायिक दंगा हो जाए तो थानेदार का तबादला हो जाएगा। बाद में सीएम योगी की पुलिस के एक हिन्दू आईजी के मातहत एक हिन्दू एसपी के मातहत कई दूसरे हिन्दू अफसरों ने मिलकर गाय कटवाने वाले इन हिन्दुओं को गिरफ्तार किया था। अब यह कल्पना की जा सकती है कि अगर कोई साम्प्रदायिक दंगा हो गया रहता तो वह कहां-कहां तक फैलता, और बाकी देश में भी उसकी चिंगारियां पहुंचतीं।

हिन्दुस्तान के बहुत से लोगों की धार्मिक भावनाओं को बड़ी कोशिश करके बारूद के ढेर पर बिठाकर रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट कभी इस साजिश को समझने का दिखावा करता है, और पूरे देश के लिए बार-बार कड़े हुक्म देता है कि हेट स्पीच पर अफसर तुरंत खुद ही जुर्म दर्ज करें, किसी शिकायत का इंतजार न करें, वरना उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया जाएगा। लेकिन इस पर अमल कहीं भी नहीं दिखता है। नफरत के ऐसे माहौल में, बारूद के ऐसे ढेरों के इर्द-गिर्द नफरती आतिशबाजी करने में लगे हुए लोगों को मामूली कानून में सजा देना काफी नहीं होगा। इन्हें देश की एकता और अखंडता को खत्म करने की साजिश के तहत देशद्रोह की सजा मिलनी चाहिए क्योंकि ये देश के भीतर हिंसक दंगे भडक़ाने की कोशिश कर रहे हैं। देश की सबसे बड़ी अदालतों के जज जुबानी जमाखर्च को काफी मान लेते हैं, और अपने लिखित आदेशों को दीमक का लंच-डिनर बनते देखने में भी उन्हें कुछ बुरा नहीं लगता। ऐसे देश में ऐसे खतरे कब तक टलेंगे, यह अंदाज लगाना बड़ा मुश्किल है।  

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