अगले छह माह बस्तर के अंदरुनी इलाकों में संघर्ष
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 25 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बस्तर के अंदरुनी इलाकों में सुरक्षाबलों के करीब 50 हजार जवानों, और दो हजार नक्सलियों के बीच लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है। लड़ाई जीतने के लिए स्थानीय लोगों का समर्थन जुटाने की भरपूर कोशिश चल रही है। इस कड़ी में प्रभावित इलाकों में युद्धस्तर पर विकास हो रहा है, और सडक़, बिजली, पेयजल, और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। पुलिस अफसरों का मानना है अगले छह महीने काफी महत्वपूर्ण रहेंगे, और नक्सलियों की प्रतिक्रिया का जवाब देने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलियों के सफाए का ऐलान कर चुके हैं। शाह इस सिलसिले में दो बड़ी बैठक ले चुके हैं। नक्सलवाद का केन्द्र बिन्दु छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका है, और सबसे ज्यादा नक्सली यहीं है। इसलिए यहां विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। पिछले दो साल से नक्सलियों के खिलाफ व्यापक अभियान चला है, और इसमें 219 नक्सली मारे गए। करीब साढ़े 8 सौ गिरफ्तार हुए, और 802 ने आत्मसमर्पण किया है।
बस्तर के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, व कांकेर, और कोंडागांव में नक्सली सक्रिय हैं। सबसे ज्यादा नक्सली बीजापुर, सुकमा, और दंतेवाड़ा में हैं। घने जंगल-पहाड़, और दुर्गम होने की वजह से अंदरुनी इलाकों में नक्सलियों से लड़ाई आसान नहीं है। इन सबको देखते हुए नक्सलियों पर हमले के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर लोगों का समर्थन जुटाने के लिए अभियान चल रहा है। दुर्गम इलाके में स्थानीय लोगों का नक्सलियों के प्रति सकारात्मक रूख रहा है। इसलिए लड़ाई कठिन होती रही है। मगर अब स्थानीय स्तर पर लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए पुलिस ने सरकार के सहयोग से अभियान को सफलता मिली है। बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा में आए हैं।
एडीजी (नक्सल ऑपरेशन) विवेकानंद ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों के रहने वाले परिवार के हर सदस्य को किसी न किसी योजना का लाभ मिले, यह सरकार की कोशिश है। इसके लिए ‘नियद नेल्ला नार’ योजना काफी अहम है।
उन्होंने कहा कि बीजापुर, और सुकमा के दुर्गम इलाकों के सडक़ बनाने के लिए बीआरओ भी जुट गई है। इससे पहुंचविहीन क्षेत्रों में आवागमन सुलभ हो पाएगा, और शासन की योजनाओं का लाभ वहां रहने वाले लोगों को मिल पाएगा।
नक्सल ऑपरेशन से जुड़े एक अफसर ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में सुरक्षाबलों के हौसले बुलंद हैं, लेकिन नक्सली जवाबी कार्रवाई करने के फिराक में भी है। इन सबको ध्यान में रखते हुए योजनाएं आगे बढ़ाई जा रही है। बस्तर में सीआरपीएफ के अलावा, बीएसएफ के साथ-साथ जिला पुलिस बल भी तैनात है। कुल मिलाकर 50 हजार से अधिक सुरक्षाबल मौजूद हैं। इन सबके बीच तालमेल काफी बेहतर हुआ है। यहां नक्सल ऑपरेशन की केन्द्रीय गृह मंत्रालय सीधे मॉनिटरिंग कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि बीजापुर, दंतेवाड़ा, और सुकमा के अंदरुनी इलाकों में करीब दो हजार नक्सली मौजूद हैं, इनमें से एक हजार पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, बाकी एक हजार ज्यादा प्रशिक्षित नहीं हैं।
बताया गया कि बीजापुर और सुकमा में ही करीब दो साल के भीतर 50 हेलीपैड बनाए गए हैं। इनमें से कुछ हेलीपैड में नाईट लैंडिंग की भी सुविधा है। यही नहीं, घायल जवानों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए एयर एंबुलेंस भी तैयार रखे गए हैं।
जानकारों का मानना है कि सब कुछ ठीक रहा तो जून तक बीजापुर, सुकमा, और दंतेवाड़ा के अंदरुनी इलाकों के नक्सलियों का सफाया हो सकता है। पुलिस अफसरों का कहना है कि बाकी राज्यों में सौ-दो सौ से ज्यादा नक्सली नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में संख्या हजार से ऊपर होने के कारण ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। राजनांदगांव के मानपुर-मोहला में तो नक्सल गतिविधियों पर तकरीबन काफी हद तक अंकुश लग गया है। यहां स्थानीय बल के अलावा आईटीबीपी के जवान तैनात हैं। बीजापुर में जून के बारिश शुरू हो जाती है। इससे पहले तक ऑपरेशन खत्म करने की तैयारी चल रही है। बहरहाल, बस्तर में आने वाले दिनों में नक्सलियों के खिलाफ भीषण लड़ाई होने के संकेत हैं।
शहरी नेटवर्क पर भी नजर
जांच एजेंसियां नक्सलियों के खुफिया नेटवर्क पर नजर रखी हुई है। पुलिस ने एक बड़े नक्सली प्रभाकर को गिरफ्तार किया था।
प्रभाकर पिछले दिनों दुर्ग आया था, और वहां अपना इलाज करा रहा था। अब पुलिस प्रभाकर जैसों से संपर्क रखने वालों की पतासाजी में जुट गई है। प्रभाकर से लगातार पूछताछ चल रही है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का भी खुलासा हो सकता है।