विशेष रिपोर्ट

कौन बनेगा मुख्य सूचना आयुक्त?
25-Dec-2024 12:51 PM
कौन बनेगा मुख्य सूचना आयुक्त?

  पिछली बार कई बड़े नाम हुए थे बाहर  

विशेष रिपोर्ट : राजेश अग्रवाल

रायपुर, 24 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’संवाददाता)। सर्वोच्च न्यायालय के 6 साल पुराने एक आदेश ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को न केवल बेहद पेचीदा और सरकारों को जवाबदेह बना दिया है बल्कि इसमें राजनीतिक नियुक्तियों और सिफारिशों की संभावना भी खत्म सी हो गई है। हालत यह रही है कि छत्तीसगढ़ में इस साल सूचना आयुक्त के दो पदों पर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को भी इसी वजह से मौका नहीं मिल पाया।

मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी सरकार को तीसरी बार आवेदन मंगाना पड़ा है, जिसके लिए आवेदन करने की प्रक्रिया हाल ही में पूरी हुई है। छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त के पद से रिटायर्ड आईएएस एमके राउत नवंबर 2022 से रिटायर हो चुके हैं। उनकी जगह दो साल से खाली है। अब तीसरी बार फिर विज्ञापन निकालकर इस पद के लिए सरकार ने आवेदन मंगाए हैं। 29 नवंबर को जारी विज्ञापन में 16 दिसंबर को आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई थी। हालांकि आवेदन करने वालों की सूची सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर अब तक डाली नहीं गई है। आवेदकों की सूची चयन प्रक्रिया शुरू होने के पहले कभी भी अपलोड की जा सकती है।

इस साल 2024 के मार्च माह में दो सूचना आयुक्तों का कार्यकाल खत्म हो गया। नई सरकार ने थोड़ी तत्परता दिखाई और जनवरी में ही इन पदों के लिए आवेदन मंगा लिए। सामान्य प्रशासन विभाग के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ में दर्ज जानकारी के अनुसार सूचना आयुक्त पद के लिए 200 से अधिक लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से 58 ऐसे प्रशासनिक अधिकारी जो या तो सेवानिवृत्त हो गए थे, या बहुत जल्द होने वाले थे। इनमें आईएएस डॉ. संजय अलंग, उमेश कुमार अग्रवाल, आईपीएस संजय पिल्ले, आईएफएस आशीष कुमार भट्ट जैसे नाम भी शामिल हैं। चयन समिति ने इनके मुकाबले आलोक चंद्रवंशी और नरेंद्र कुमार शुक्ला का नाम फाइनल किया और उनको नियुक्ति दी गई। इनमें शुक्ला सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, पर उनकी नियुक्ति की वजह यह थी कि उनका बायोडाटा सुप्रीम कोर्ट के मापदंडों के सबसे करीब था।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका संख्या 436/2018, (अंजली भारद्वाज विरुद्ध केंद्र सरकार) के अपने निर्णय में सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने का निर्देश दिया। था जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने निर्देश दिया कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए ऐसे व्यक्तियों को चुना जाना चाहिए जिनके पास विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव हो। शीर्ष न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति ऐसे व्यक्तियों से की जानी चाहिए जो किसी राजनीतिक दल से संबद्ध न हों और न ही कोई अन्य लाभ का पद धारण कर रहे हों। आदेश में यह भी कहा गया कि चयन करते समय केवल सेवानिवृत्त नौकरशाहों के आवेदनों को प्राथमिकता नहीं दें।

केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसमें प्रधानमंत्री, लोक सभा में विपक्ष के नेता और एक मंत्री शामिल हों। इसी के अनुरूप छत्तीसगढ़ में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी समिति में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत और एक मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल शामिल थे।

हालांकि चयन के लिए रखी गई बैठक में डॉ. महंत किसी कारण से शामिल नहीं हो पाए थे। चंद्रवंशी और शुक्ला की नियुक्ति का निर्णय शेष दोनों सदस्यों ने लिया था। अब समिति में फेरबदल नहीं किया गया तो ये ही सदस्य निर्णय लेंगे। मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तो रहेंगे ही, मंत्री को जरूर बदला जा सकता है।

मालूम हो कि,  याचिका में उल्लेख था कि केद्रीय सूचना आयोग और राज्य के आयोगों में कई पद वर्षों से रिक्त चल रहे हैं और सरकारें इनमें नियुक्ति के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही हैं। शीर्ष न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि सूचना आयोगों में रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए ताकि आरटीआई अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।

जिनके पास विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव हो ऐसे आवेदकों की तलाश ही सूचना आयुक्त के योग्य उम्मीदवारों की तलाश में देरी की एक वजह बन रही है।  सूचना आयुक्त के विज्ञापन की तरह ही सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सूचना आयुक्त के पदों का विज्ञापन जारी करते हुए इसका स्पष्ट उल्लेख किया है कि आवेदक का इन सभी सातों क्षेत्रों में कोई न कोई योगदान होना चाहिए।

बीते मार्च में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के समय आवेदनों को शार्ट लिस्ट करते समय इन सभी बिंदुओं पर चेक लिस्ट बनाई गई थी। उदाहरण के लिए डॉ. अलंग को प्रशासन का अनुभव तो था लेकिन बाकी क्षेत्र- विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता-जनसंपर्क में अपनी सेवाओं का, यदि हो तो- उन्होंने आवेदन में इसका कोई जिक्र नहीं किया था। यही स्थिति दूसरे भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की थी।

सूचना आयुक्त नियुक्त किए गए नरेंद्र शुक्ला आईएएस होने के कारण प्रशासन में दक्षता रखते हैं। इसके अलावा वे विधि स्नातक हैं। उन्होंने अपने आवेदन के साथ पत्रकारिता तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में किए गए कार्यों का भी दस्तावेज दिया। इस तरह से सात बिंदुओं में से चार उनके अनुकूल रहे। इसी तरह दूसरे सूचना आयुक्त आलोक चंद्रवंशी के आवेदन में पत्रकारिता और जनसंपर्क को छोड़ शेष क्षेत्रों विधि, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, सामाजिक क्षेत्र, प्रबंधन और प्रशासन के अनुभव का उल्लेख किया गया था। चेक लिस्ट की सात बिंदुओं में से पांच में उन्होंने अपने योगदान का विवरण दिया। हालांकि इनके अलावा भी कई आवेदक इसी तरह चार या पांच क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले थे, पर संभवत: अनुभव के वर्ष कम या कार्यक्षेत्र इनके मुकाबले कम महत्व के थे, इसलिए उन्हें खारिज किया गया।

अब इन्हीं मापदंडों के आधार पर मुख्य सूचना आयुक्त का भी चयन होना है। चर्चा यह हो रही है कि एक बड़े अफसर, जो शीघ्र सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, उन्होंने भी इस पद के लिए आवेदन किया है। उनके मुकाबले में कोई दूसरा आवेदन नहीं आने पर नियुक्ति सुनिश्चित समझी जा सकती है।

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