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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, , 29 नवंबर। महानदी पर बने मेघा पुल के धंसकने के तीन माह के बाद भी यातायात व्यवस्था सुचारू नहीं करने के विरोध में मेघा-मगरलोड के व्यापारियों ने नागरिकों के साथ मिलकर आज मेघा में चक्काजाम कर प्रशासन को जगाने का काम किया।
समाचार लिखे जाने दोपहर डेढ़ बजे तक एसडीएम, पीडब्ल्यूडी, सेतु निगम एवं पुलिस विभाग के अधिकारी आंदोलनकारियों को मनाने में लगे हैं।
गौरतलब है कि धमतरी जिला के कुरुद विधानसभा को दो भागों में विभाजित करने वाला महानदी पर बना तीस साल पुराना मेघा पुल 21 सितम्बर को धंसक गया था। रेत के अवैध उत्खनन में बरती गई प्रशासनिक अनदेखी की भेंट चढक़र अपनी आधी उम्र में ही बेकाम हो चुके इस पुल के टूटने से रोज हजारों लोगों को नदी पार करने के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही हैं।
मंडी, कॉलेज एवं अस्पताल जैसी जरूरी सुविधाओं से दूर हो चुके क्षेत्रवासी इस बात से नाराज हैं कि तीन महीने बाद भी उनकी समस्या दूर करने प्रशासन ने कोई पहल नहीं की।
सरपंच शंकर साहू, व्यापारी जागेन्द्र साहू, शरद निषाद, बेनुराम पटेल, पुरण साहू, आत्माराम, राजेश, गोविन्द साहू, घनश्याम निषाद, दिनेश साहू, घनश्याम, कृष्णा योगेश्वर, धर्मेन्द्र साहू, चोवाराम पटेल आदि आंदोलन कारियों ने बताया कि तीन महीने हो गये पुल को टूटे हुए, लेकर हमारी समस्या सुलझाने में अब तक प्रशासन ने कुछ नहीं किया।
किसान मंडी, विद्यार्थी कॉलेज और गंभीर मरीज अच्छी स्वास्थ्य सुविधा से दूर हो चुके हैं। इस मामले को लेकर क्षेत्रिय जनप्रतिनिधि का रवैया निराशा जनक रहा है। अब भी हमें नदी पार करने के लिए 20-25 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है।
क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य कुसुमलता साहू का कहना है कि सरकार ने नवीन पुल बनाने की स्वीकृति दे दी है, लेकिन पुल बनने में बरसों लगेंगे, तब तक लोग क्या मुख्य मार्ग से कटे रहेंगे। मैंने भी संबंधित अधिकारियों को नदी में वैकल्पिक मार्ग और टूटे पुल को मरम्मत कर अस्थायी व्यवस्था बनाने का निवेदन किया है।
इस बारे में मगरलोड ब्लॉक युवा कांग्रेस अध्यक्ष इंदरजीत सिंग का कहना है कि मेघा पुल को गिरे तीन महीने बीत गये, लेकिन कुरुद विधायक अब तक देखने तक नहीं आए, क्षेत्रिय लोगों को हो रही परेशानी और जमीनी हकीकत से दूर मीडिया में वाहवाही लूट रहे हैं।