कारोबार
रायपुर, 25 नवम्बर। एनएमडीसी ने बताया कि भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक, एनएमडीसी लिमिटेड छत्तीसगढ़ के बस्तर जि़ले में स्थायी विकास और समुदायों के सशक्तीकरण की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखे हुए है। शिक्षा, कौशल विकास एवं पर्यावरण संरक्षण पर आधारित विभिन्न पहलों के साथ एनएमडीसी अपनी परियोजनाओं में एवं आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के उज्जवल भविष्य को आयाम देने में योगदान दे रही है।
एनएमडीसी ने बताया कि कंपनी अपनी सामाजिक योजनाओं के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में एक समान विकास को सुनिश्चित करने पर ध्यान केन्द्रित करती है। बालिका शिक्षा सहयोग योजना, भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की सबसे बड़ी स्कॉलरशिप पहल है, जो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में किशोरियों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने की एनएमडीसी की प्र्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह छात्रवृत्ति योजना कक्षा 9 से अंडरग्रेजुएट स्तर के छात्रों को लाभान्वित करती है, इसे खासतौर पर एससी, एसटी, ओबीसी समुदायों की बालिकाओं को सहयोग प्रदान करने के लिए पेश किया गया है।
एनएमडीसी ने बताया कि 2008-09 में अपनी शुरूआत के बाद से यह योजना 63 स्कूलों में 2 लाख से अधिक छात्रों के जीवन को प्रभावित कर चुकी है। रु 65 करोड़ का वितरण सीधे बैंक ट्रांसफर द्वारा इन छात्रों के खातों में किया गया है। यह पहल बालिकाओं के अकादमिक परफोर्मेन्स में सुधार लाकर, उनके समग्र विकास में योगदान देकर उनके सपने साकार करने में मदद कर रही है।
एनएमडीसी ने बताया कि नगरनार में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) की स्थापना एनएमडीसी द्वारा 2010-11 में की गई, जो बस्तर की शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने की कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आईटीआई नगरनार एनआईएसपी, एससी/एसटी और बीपीएल परिवारों के लोगों को प्राथमिकता देता है। इन्हें वेल्डर एवं मैसन ट्रेड में एक साल का कोर्स करने का मौका मिलता है। कोर्स के तहत क्लासरूम प्रशिक्षण, व्यवहारिक लैब वर्क और प्रैक्टिव वर्कशॉप से उनकी रोज़मार क्षमता में सुधार होता है।
एनएमडीसी ने बताया कि संस्थान ने पिछले 3 सालों में 100 लाख से अधिक खर्च के साथ तकरीबन 500 युवाओं के कौशल विकास को बढ़ावा दिया है। रु 917.2 लाख की अनुमानित लागत पर 24 क्लासरूम्स एवं 10 वर्कशॉप्स से युक्त आधुनिक स्थायी इमारत निर्माणाधीन है। जिसका उद्देश्य क्षेत्र के युवाओं को कौशल विकास एवं स्थायी आजीविका के लिए आधुनिक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
एनएमडीसी ने बताया कि बस्तर के दूर-दराज के इलाकों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से कंपनी ने बस्तर के नगरनार में एक आवासीय विद्यालय की स्थापना की है। वर्तमान में इस स्कूल में हर साल कक्षा 1 से 12 के 600 से अधिक आदिवासी छात्र प्रवेश लेते हैं। शुरूआत में यहां प्रवेश लेने वाले ज़्यादातर छात्र पहली पीढ़ी के बच्चे थे। इनमें से ज़्यादातर दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले एनएमडीसी के कर्मचारियों के बच्चे हैं, जिन्हें नि:शुल्क रिहायशी स्कूलिंग की सुविधा दी गई। अब तक 5000 से अधिक छात्रों को इस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लाभ मिला है।
एनएमडीसी ने बताया कि पिछले तीन सालों में एनएमडीसी ने स्कूल के संचालन को बेहतर बनाने के लिए लगभग रु 500 लाख खर्च किए हैं। इसके अलावा रु 2307 लाख के अनुमानित खर्च पर 36 क्लासरूम्स, 8 लैबोरेटरीज़ और रिहायशी परिसर एवं अन्य सुविधाओं से युक्त स्कूल का निर्माण कार्य जारी है। जिससे क्षेत्र में आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा सुविधाओं में सुधार आएगा। अपने इन प्रयासों के ज़रिए एनएमडीसी ने साबित कर दिया है कि कंपनी अपने खनन संचालन से आगे बढक़र समाज कल्याण की दिशा में प्रयासरत है।