विचार / लेख

हम सबका आधार जनजातीय समाज
14-Nov-2024 8:02 PM
हम सबका आधार जनजातीय समाज

-विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

देश के क्रांतिकारी जनजातीय नायक धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा जी की 150 वीं जयंती को प्रदेश और केन्द्र सरकार ने ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’ के रूप में मनाने की शुरूआत की है तथा जनजातीय संस्कृति, परंपरा और अधिकारों का संरक्षण करने का संदेश दिया है। 14-15 नवंबर 2024 को आयोजित कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़, अपने जनजातीय गौरव शहीद वीर नारायण सिंह, गुण्डाधूर, शहीद डेबरीधुर, शहीद धुर्वाराव माड़िया, शहीद हिड़मा मांझी और शहीद गेंदसिंह जैसे अनेक नायकों के योगदान और बलिदान को याद कर रहा है। इन जननायकों ने आजादी के लिए ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए जल, जंगल, जमीन तथा जनजातीय- अस्मिता की रक्षा की। युवा पीढ़ी इनसे सदैव प्रेरणा लेती रहेगी।

भारतीय संस्कृति पांच हजार सालों से अधिक समय से प्रवाहमान है जो आरण्यक, ग्राम्य, नगरीय जीवन-शैलियों को एक सूत्र में पिरोती रही है। जनजातीय समाज का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। उनकी समृद्ध परंपराएं रही हैं। वे गहरी आध्यात्मिक चेतना के वाहक रहे हैं। शुक्ल यजुर्वेद में कहा गया है: नमो वन्याय च कक्ष्याय च नमः-अर्थात उन एक को नमस्कार है, जो वनों में वनों और झाड़ियों के रूप में हैं। हम सब कभी न कभी वन्य समाज का ही हिस्सा थे। हम सबका आधार जनजातीय समाज ही रहा है।

भारत के गौरवशाली इतिहास में आदिवासी समाज का अग्रणी योगदान रहा है। अंग्रेजी राज में भी अंग्रेजों को सबसे ज्यादा चुनौती वन क्षेत्रों से ही मिली। जनजातीय नेता तिलका मांझी जी ने अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष करते हुए सन् 1785 में बलिदान दिया। तिलका मांझी जी ने राजमहल, झारखंड की पहाड़ियों पर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था।

स्वतंत्रता के 78 सालों में देश ने जो विकास किया है, उसमें जनजातीय समुदायों के योगदान का सबसे पहले स्मरण करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसकी सर्वश्रेष्ठ पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मु को देश का राष्ट्रपति बनाकर की है। श्रीमती मुर्मु हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रवास पर थी। इस दौरान युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विकसित होगा तो भारत भी विकसित होगा। स्पष्ट है कि विकसित छत्तीसगढ़ में जनजातीय समाज का योगदान अविस्मरणीय है। सबको विदित ही है कि छत्तीसगढ़ में गोंड, अबुझमाड़िया, मुरिया, हलबा, धुर्वा, उरांव, कोल, कोरवा, कमार, बैगा सहित अनेक जनजातियां निवास करती हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने जनजातियों के कल्याण के लिए गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, भूमि सुधार, संस्कृति के संरक्षण, महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए कई अभिनव कल्याणकारी योजनाएं प्रारंभ की हैं। इनका लाभ उठाकर जनजातीय समुदाय उत्तरोउत्तर विकास कर रहा है। प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत जनजातीय समुदायों को कई सुविधाएं दी जा रही हैं, इनमें पक्के घर, पक्की सड़क, नल से पानी, आंगनबाड़ी केंद्र, मोबाइल मेडिकल यूनिट, वनधन केंद्र, इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं शामिल हैं। जनजातीय समुदाय के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।

बस्तर के जनजातीय समुदाय सालों से माओवादी हिंसा का दर्द झेल रहे हैं। गुजरे माह जब नक्सल पीड़ित आदिवासी नई दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति से मिले तो पूरे देश ने इस पीड़ा को महसूस किया। इनके बच्चों के लिए हमारी सरकार द्वारा 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।

सुखद दृश्य यह भी है कि जो युवा नक्सली बंदूक थाम रहे थे, अब वे डॉक्टर, इंजीनियर, आईआईटीयन बनकर देश की सेवा में लगे हैं। हमारी सरकार ने भी एक नया नारा देते हुए नक्सलियों को चेता दिया है कि गोली का जवाब गोली: बोली का जवाब बोली। जनजातीय क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद को रोकने के लिए सरकार ने सुरक्षा और विकास को मूल मंत्र बनाया तथा नियद नेल्ला नार जैसी योजना शुरू की है। एक साल के अंदर इसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं।

हमारी सरकार आदिवासी मातृशक्ति के कल्याण को तत्पर है। महतारी वंदन योजना के तहत जनजातीय समुदाय की महिलाओं को एक हजार रूपये प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जा रही है। जनजातियों को वन अधिकार पत्र, बकरी पालन, मुर्गी पालन, सुकर पालन और गाय पालन के लिए शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। एक नयी पहल के तहत जनजातीय बहुल इलाकों में जिमीकंद, हल्दी, तिखुर जैसी फसलों के उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से जनजातीय समुदायों के लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। आदिवासियों को राज्य और केन्द्र शासन द्वारा संचालित लगभग 52 योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। हमारे जनजातीय क्षेत्रों के युवा अब अखिल भारतीय परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर अन्य क्षेत्र के युवाओं के लिये भी प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण जिन उददेश्यों के लिए किया था, उसकी बड़ी सार्थकता देखिए कि आज यहां के जनजातीय समाज को मुख्यमंत्री पद का दायित्व मिला है। आज बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय विकास की मुख्यधारा से जुड़कर और योजनाओं का लाभ उठाकर अपना जीवन बेहतर बना रहे हैं। हमारी सरकार ने विजन 2047 का लक्ष्य सामने रखते हुए राज्य के सभी जनजातीय समुदायों का निरंतर कल्याण करने का संकल्प लिया है। इसी तारतम्य में हमने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए गठित विकास प्राधिकरणों में जनप्रतिनिधित्व को और सशक्त किया है। उन्हें और अधिक उत्तरदायी बनाया है। हाल ही में सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के बजट को बढ़ाकर 75 करोड़ कर दिया है, साथ ही मयाली नेचर कैम्प को नया पर्यटन केन्द्र बनाने के लिए 10 करोड़ रूपये स्वीकृत किए हैं। 18 नवम्बर को बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक होनी है, मुझे ऐसा विश्वास है कि इस बैठक में भी बस्तर के चहुंमुखी विकास के लिए प्राधिकरण द्वारा प्रभावी निर्णय लिया जाएगा। आज छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है। यह सरकार जनजातीय समाज को उसके इतिहास, उसकी विरासत और उसकी संस्कृति के नजरिए से देखने वाली सरकार है। इसी के आधार पर हमने जनजातीय क्षेत्रों के विकास की रणनीति तय की है।

जय जोहार!
 


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