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तीसरी बड़ी घटना, पीएम रिपोर्ट का इंतजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंंठपुर, 9 नवंबर। कोरिया जिले में एक और बाघ की मौत हो गई है। बाघ के शव का पोस्टमार्टम के बाद ही उसके मौत की सही वजह सामने आ सकेगी, वहीं मौके पर सिर्फ ‘छत्तीसगढ़’ पहुंचा, तो मालूम हुआ कि बाघ की मौत दो तीन दिन पहले ही हो चुकी है, परन्तु वन विभाग के कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसरों को इसकी जानकारी तब हुई, जब बाघ के शव से दुर्गंध आने लगी। वहीं सरगुजा वन वृत के सीसीएफ मौके पर पहुंच जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को दिन के 12 बजे के आसपास सोशल मीडिया में बाघ की मौत की तस्वीरें वायरल हुई, जिसके बाद कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अफसर अपने अमले के साथ ढाई बजे मौके पर पहुंचे, यहां पहुंचकर उन्होंने बाघ के चारों ओर बैरिकेडिंग की, वहीं दिन से 12 बजे की सूचना के बाद सरगुजा वन वृत के सीसीएफ 8 बजे रात पहुंचें।
इधर, बाघ की मौत को लेकर वन विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है। वहीं अधिकारियों ने ‘छत्तीसगढ़’को बताया कि बाघ के नाखून और मूंछें सही सलामत हैै, बाघ पूर्ण व्यस्क नर बाघ है।
बताया गया कि कोरिया वन मंडल और गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में आवाजाही का रिकॉर्ड नहीं है।
ऑरेंज एरिया में हुई मौत
आजादी के बाद वन क्षेत्र के सीमांकन से छूटे क्षेत्र को ऑरेंज एरिया कहा जाता है, जहां बाघ की मौत हुई है वह ऑरेंज एरिया है, हालांकि यह कोरिया वन मंडल में ही आता है। बैकुंठपुर से 80 किमी दूर स्थित ग्राम कटवार के पास निकलने वाले नाले के पास बाघ का शव पाया गया है। मौत के स्थान से लगभग 1 किमी की दूरी पर गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान शुरू हो जाता है।
पूर्व में हो चुकी है दो बाघ की मौत
वर्ष 2022 में इसी क्षेत्र में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत रेंज में एक बाघिन की मौत हुई थी, स्थान था ग्राम सलगवांकला, जिसके बाद 4 लोगों को भैस के मांस में जहर देकर बाघ को मारे जाने की बात सामने आई थी और चारों पर विभाग ने कार्रवाई की थी, इसके पूर्व 2018 में इसी क्षेत्र के ग्राम सुकतरा में एक बाघ की मौत सामने आई थी, अब इसी क्षेत्र में बाघ के मारे जाने की तीसरी बड़ी घटना सामने आई है।
बाघ की निगरानी में लापरवाही
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 2019 में जब बाघ की आवाजाही की बात सामने आई, तब बाघ के मल के संैपल से लेकर उसके पग मार्क को लेकर विभाग एलर्ट मोड पर रहता था, तब से बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ, अब भी पार्क क्षेत्र में 7 से 8 बाघ विचरण कर रहे हैं। परन्तु अब ऐसा नहीं हो रहा है।
कल जब विभाग के अधिकारी ने मैदानी अमले से बाघ के मूवमेंट को लेकर सवाल किया तो उसने कहा कि परसों की उसके मूवमेंट की जानकारी उसे थी, तब उसने मुनादी करने की बात कही, परन्तु जब उसके मल की जानकारी पर सवाल किया तो उसने चुप्पी साघ ली। मतलब साफ है वर्तमान में पूरे सरगुजा वन वृत का हाल बेहाल है। अधिकारियों की सुस्ती और लापरवाही के कारण लगातार बाघों की मौत हो रही है।
कोई नहीं रहता मुख्यालय में
बताया जाता है कि गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान हो या कोरिया वन मंडल, इनके ज्यादातर अधिकारी अपने मुख्यालय में नहीं रहते, सिर्फ निर्माण कार्यों में जेसीबी लेकर जंगल में पहुंचा करते हंै। दूसरी ओर संजय गंाधी नेशनल पार्क लगे होने के कारण बाघों की आवाजाही लगातार बढ़ती जा रही है। परन्तु न तो इससे अधिकारियों को कोई लेना देना है और ना कर्मचारियों को, जिसके कारण बाघों के विचरण की जानकारी किसी को नहीं रहती है, यही कारण है कि जब बाघ के शव से दुर्गध आने लगी तब विभाग को बाघ के मारे जानकारी मिल सकी।