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राकांपा के विरोधी धड़े मतदाताओं पर ध्यान दें, ‘घड़ी’ पर अदालत में ऊर्जा न जाया करें : न्यायालय
06-Nov-2024 10:03 PM
राकांपा के विरोधी धड़े मतदाताओं पर ध्यान दें, ‘घड़ी’ पर अदालत में ऊर्जा न जाया करें : न्यायालय

नयी दिल्ली, 6 नवंबर। विवादास्पद चुनाव चिह्न घड़ी पर अखबारों में अस्वीकरण (डिसक्लेमर) देने का निर्देश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विरोधी धड़ों (शरद और अजित पवार के नेतृत्व वाले) से कहा कि वे मतदाताओं को लुभाने पर ध्यान दें और अदालत में अपनी ऊर्जा बर्बाद न करें।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ “घड़ी” चिह्न के कथित उपयोग और दुरुपयोग को लेकर शरद पवार और अजित पवार नीत गुटों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने तब दोनों समूहों को मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।

न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार नीत धड़े को मराठी समेत अन्य अखबारों में यह अस्वीकरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न के आवंटन का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है।

न्यायालय के आदेश के 36 घंटे के भीतर अस्वीकरण को दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने का निर्देश दिया गया।

निर्देश देते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की, “अदालतों में अपनी ऊर्जा बर्बाद मत कीजिए। आप दोनों को मतदाताओं को लुभाने के लिए उनके पास जाना चाहिए।”

पीठ ने अजित पवार गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह से कहा कि वह 36 घंटे के भीतर मराठी भाषा के अखबारों समेत अन्य समाचार पत्रों में प्रमुखता से अस्वीकरण प्रकाशित कराएं।

सिंह ने दावा किया कि उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए हैं और नाम वापस लेने की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, लेकिन शरद पवार गुट पूरी चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।

इसके विपरीत, शरद पवार गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि “घड़ी” चुनाव चिन्ह पिछले 30 वर्षों से दिग्गज नेता के साथ जुड़ा हुआ है और विरोधी पक्ष इसका दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहा है।

सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत के 19 मार्च के आदेश में अजित पवार के नेतृत्व वाले धड़े को हर पोस्टर, पैम्फलेट, बैनर और ऑडियो-वीडियो विज्ञापन में अस्वीकरण जारी करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया गया। वरिष्ठ वकील ने विपक्षी धड़े को नया चुनाव चिह्न प्राप्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, “अदालत की यह व्यवस्था विफल हो गई है। वे कहते रहते हैं कि शरद पवार हमारे भगवान हैं। वे शरद पवार के नाम और घड़ी के चिह्न का उपयोग करने के लाभ जानते हैं। बार-बार उल्लंघन हो रहा है।”

न्यायमूर्ति दत्ता ने हालांकि कहा कि चुनावी प्रक्रिया के बीच में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता और उन्होंने उनसे ‘‘घड़ी’’ चिह्न का उपयोग नहीं करने को कहा।

सिंघवी ने अदालत से शरद पवार की याचिका पर आदेश पारित करने और इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने का आग्रह किया, क्योंकि 19 मार्च का आदेश इस आधार पर था कि “घड़ी” चुनाव चिह्न से समान अवसर प्रदान करने में बाधा नहीं आनी चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने सिंघवी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें यह राहत देना मुख्य राहत होगी।

पीठ ने सिंह को 36 घंटे के भीतर अस्वीकरण प्रकाशित करने के निर्देश के अनुपालन का आश्वासन देने वाला एक शपथपत्र दाखिल करने को कहा।

पीठ शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अजित पवार गुट को निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित चुनाव चिह्न “घड़ी” का उपयोग करने से रोकने का इस आधार पर अनुरोध किया गया कि इससे समान अवसर मिलने की प्रक्रिया बाधित हुयी है।

शरद पवार ने अपनी मुख्य याचिका में 6 फरवरी के निर्वाचन आयोग के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अजित पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दी गई थी। शीर्ष अदालत ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को याचिका पर नोटिस जारी किया था।

शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा का चुनाव चिह्न विभाजन से पहले “घड़ी” था। अब यह चिह्न अजित पवार गुट के पास है।

शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर को अजित पवार नीत धड़े को आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में उसकी प्रचार सामग्री में “घड़ी” चिह्न का इस्तेमाल इस अस्वीकरण के साथ करने का निर्देश दिया था कि मामला उसके (न्यायालय के) समक्ष विचाराधीन है। (भाषा)

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