-फरहत जावेद
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में दो अलग अलग अदालतों ने प्रतिबंधित फंडिंग और चुनाव आयोग के फैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के मामलों में अदलतोें में पेश हो जाने के बाद तहरीक-ए-इंसाफ़ प्रमुख इमरान ख़ान की ज़मानत याचिका स्वीकार कर ली गई.
इमरान ख़ान मंगलवार को इस्लामाबाद के न्यायिक परिसर में सुनवाई में पेश होने के लिए लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे और उनके साथ बड़ी संख्या में उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी न्यायिक परिसर में मौजूद थे.
हालांकि इस मौके पर सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए थे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता सुरक्षा घेरा तोड़कर न्यायिक परिसर के भवन में घुस गए.
बैंकिंग कोर्ट की जज रख़शंदा शाहीन ने जब प्रतिबंधित फंडिंग मामले की सुनवाई की तो विशेष अभियोजक ने पूर्व प्रधानमंत्री की ज़मानत रद्द करने की गुहार लगाई.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने 2 अगस्त, 2022 को पीटीआई के ख़िलाफ़ 2014 से लंबित फंडिंग मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह साबित हो गया है कि तहरीक-ए-इंसाफ़ को प्रतिबंधित फंडिंग मिली थी.
11 अक्टूबर को एफआईए ने इमरान खान समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ प्रतिबंधित फंडिंग का मामला दर्ज किया था,
प्राथमिकी के मुताबिक, आरोपियों ने विदेशी मुद्रा अधिनियम का उल्लंघन किया और निजी बैंक खातों में फंड मंगाया.
सुनवाई के दौरान इमरान ख़ान के वकील सलमान सफ़दर ने दलीलें शुरू कीं और कहा कि यह मामला 2022 में 10 साल की देरी से दायर किया गया था, जिसमें किसी प्रभावित पक्ष ने नहीं बल्कि सरकार ने यह मुकदमा दायर किया था. उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान पर अंतरिम ज़मानत के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है.
सलमान सफ़दर ने कहा कि "जांच अधिकारी अब आरोप लगाएंगे कि इमरान ख़ान जांच में शामिल नहीं थे, मैं अदालत को बताना चाहता हूं कि इमरान ख़ान ने जांच में शामिल होने के लिए कितनी कोशिश की."
पक्षकारों की दलीलों के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया और कुछ देर बाद फैसला सुनाते हुए अंतरिम ज़मानत अर्जी मंजूर कर ली.
इससे पहले, चुनाव आयोग के फ़ैसले के खि़लाफ़ विरोध और सरकार में दखल के मामले में आतंकवाद निरोधी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को अंतरिम ज़मानत दे दी थी.
इमरान खान मंगलवार दोपहर न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास हसन की अदालत में पेश हुए, जहां सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें नौ मार्च तक ज़मानत देने का आदेश दिया.(bbc.com/hindi)